शास्त्रों में लिखा गया है कि कलयुग में सारे पापों से बचने का एकमात्र साधन है, धर्म की शरण में चले जाना. आप जितना धार्मिक क्रियाओं में ध्यान लगाओगे उतना ही पाप से बचे रहोगे. गुजरात हाईकोर्ट ने मंदिर में दान देकर जेल की सजा से मुक्ति पाने का एक दिलचस्प फ़ैसला सुनाया है.
गुजरात हाईकोर्ट द्वारा एक बिजनेसमैन की जेल की सजा में छूट के बदले एक मंदिर के ट्रस्ट में दान देने की सजा सुनाई गई है. 15 साल पहले एक मर्डर केस में आरोपी मनुभाई अम्बालिया को तीन महीने की जेल और 500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी. इस फ़ैसले के खिलाफ़ आरोपी व्यापारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी.
इसी महीने की 7 तारीख को केस की सुनवाई करते समय हाईकोर्ट ने मनुभाई को 50 हज़ार रुपये एक धार्मिक संस्था, श्री माताजी ढूंगर ट्रस्ट में जमा कराने को कहा. यह संस्था मंदिरों की देखभाल का काम करती है. लगभग 15 साल से चले आ रहे इस केस की सुनवाई के समय आरोपी के वकील ने जस्टिस जेड. के. सैयद से विनती की कि उनके मुवक्किल को प्रायश्चित करने का एक मौका ज़रुर दिया जाना चाहिए.
वकील ने साथ में यह भी कहा कि 15 साल पहले दी गई सजा के लिए उसके मुवक्किल को अब जेल भेजना किसी भी नज़र से उसके साथ उचित नहीं होगा. काफ़ी विचार-विमर्श के बाद कोर्ट ने आरोपी के लिए सजा के विकल्प के रूप में हर्जाने के तौर पर 50 हज़ार रुपये का दान देने के साथ कुछ और विकल्प भी दिए. मनुभाई ने ट्रस्ट में दान देकर उसकी रसीद भी कोर्ट में जमा करवा दी है.