मोदी के मंत्री का अलोकतांत्रिक बयान: जनता को ऐसे लोगों को ‘सजा’ देनी ही चाहिए

Bhopal Samachar
नईदिल्ली। केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह ने एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि जो लोग भी भारतीय इतिहास के साथ ‘खिलवाड़’ करेंगे जनता को ऐसे लोगों को ‘सजा’ देनी ही चाहिए। सिंह पद्मावती के बारे में बात कर रहे थे। जिसके विरोध स्वरूप कुछ लोगों ने कानून तोड़ते हुए हिंसा की और शूटिंग रुकवा दी। जबकि विरोध के लिए कई कानूनी रास्ते भी हैं। मंत्री का यह बयान कि 'जनता को सजा देना चाहिए' भारत की न्यायिक व्यवस्था का विरोध करता प्रतीत होता है। सिंह ने यह बयान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया से बातचीत में कही।

बिहार के नवादा से बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने कहा, “दुर्भाग्य है देश का कि देश में औरंगजेब को, टीपू सुल्तान को आइकन मानने वाले लोग देश के इतिहास के साथ खिलवाड़ करते हैं। पद्मावती के चरित्र को जिस ढंग से चित्रित किया गया है, अगर वो हिन्दू ना होती तो शायद किसी की हिम्मत ना होती।” उन्होंने आगे कहा, “और जिसने भी ऐसा किया है उसने भारत के इतिहास और मान-मर्यादा के साथ खिलवाड़ किया है। पद्मावती ने अपने आप को मिटा दिया, लेकिन मुगलों के आगे घुटने नहीं टेके। इसलिए ऐसे लोगों को निश्चित रूप से जनता को सजा देनी चाहिए।”

गिरिराज सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा, “हिन्दू देवी-देवताओं के ऊपर तो एक से एक टिप्पणी आती है। PK जैसी फिल्में बना देते हैं। किसी की हिम्मत हुई है मोहम्मद साहब के खिलाफ कोई फिल्म बना दे।” सिंह ने कहा कि यह मुद्दा जनता के सामने एक चुनौती की तरह है और जनता ही इसका फैसला करेगी।

क्या है फिल्म पद्मावती का विवाद:
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक भंसाली पर राजपूत महारानी पद्मावती को लेकर फिल्म बना रहे हैं। आरोप हैं कि फिल्म में पद्मावती और उनके प्रेम में पड़े दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी से संबंधित ‘तथ्यों से छेड़छाड़’ की गई है। विवाद तब पैदा हुआ जब राजस्थान में इस फिल्म की शूटिंग चल रही थी, जहां ‘करणी सेना’ नाम के संगठन ने फिल्म के सेट पर तोड़ फोड़ की और भंसाली के साथ मारपीट भी की।

क्या किया जा सकता है
इस फिल्म को लेकर सरकार पर दवाब बनाया जा सकता है कि वो भंसाली के फिल्म बनाने के सभी अधिकार सस्पेंड कर दें। न्यायालय में याचिका लगाई जा सकती है कि इतिहास से छेड़छाड़ करने वाली फिल्म का निर्माण रोके एवं रिलीज होने से पहले माननीय न्यायालय की अनापत्ति प्राप्त करे। सेंसर बोर्ड सरकार से संबद्ध संस्थान है। वह भी गलत तथ्य प्रस्तुत करने वाली फिल्मों को रिलीज होने से रोक सकता है। ऐसी फिल्मों के खिलाफ लोकतांत्रिक प्रदर्शन किए जा सकते हैं परंतु हिंसा को बढ़ावा देने के बयान लोकतांत्रिक देश में कतई स्वीकार नहीं किए जा सकते। ऐसी कार्रवाईयों को यदि सरकार समर्थन देती है तो इसे तानाशाही कहा जाता है। 
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