भोपाल। 25 जनवरी को सारा दिन सपाक्स के वकील एवं विधि विशेषज्ञों की टीम सुप्रीम कोर्ट में हाजिर रही लेकिन प्रकरण सुनवाई पर नहीं आ पाया। कल प्रकरण सूचीबद्ध रहे, इसके लिये पुन: अंत तक प्रयास किये गये और सफल भी हुए लेकिन यह कल फलीभूत होगा इसकी संभावना मात्र है, सुनिश्चितता नहीं।
सपाक्स के एक पदाधिकारी ने बताया कि हम किसी डॉक्टर के सम्मुख गिडगिडाते उस परिजन की मानिंद महसूस कर रहे थे जिसका अपना पीडित हो और यह लगे कि डॉक्टर ध्यान ही नहीं दे रहा। किसी परिजन की पीड़ा हमारे लिये भले खौफनाक मंजर हो, डॉक्टर दिनरात इसी पीड़ा का दीदार करते हैं। जिक्र इसलिये कि स्वयं वकील साहब ने कहा जिसका पेट खुला हो उसे छोड़कर कोई डॉक्टर दूसरे मरीज को कैसे देखे।
जो प्रकरण वर्तमान में चल रहा है वह वर्ष 2008 में दर्ज हुआ था। यानि 8-साल बाद इस अवस्था को प्राप्त हुआ। उच्चतम न्यायालय में 80% से अधिक मामले इसी अवधि अथवा अधिक के हैं। पूरा दिन वकीलों की फौज इंतजार करती रही। आज शायद ख़त्म हो प्रतीक्षा। हालाँकि सुबह वही खेल विपक्ष द्वारा शुरू किया गया कि सुनवाई बाद में की जावे। जो फिलहाल नहीं हो सका।
प्रांत स्तर पर संस्था सदस्य तत्काल आपात बैठक करें। अभी मूल प्रकरण शुरू भी नहीं हुआ है, हम सिर्फ बाधायें ही पार कर रहे हैं। आज प्रकरण प्रारंभ होता उसके पहले ही विपक्ष के पुन: 3 वरिष्ठ वकील 2.00 बजे दोपहर उपस्थित हुए और कोर्ट से adjournment माँगा। लम्बी बहस के बाद 2-फरवरी निश्चित हुई। उम्मीद फ़िर यही है कि उस दिन भी कोई न कोई बहाना पैदा किया जावेगा। यदि प्रकरण शुरू भी हुआ तो बहस 7-10 दिन चलने की संभावना प्रबल है। क्योंकि मूल प्रकरण के साथ 5-6 नये प्रकरण जुड़ गये हैं, विपक्ष 10 से अधिक वरिष्ठ वकीलों की फौज के साथ है।