कुमार विम्बाधर। जब हम कुछ साथी इस आर्थिक अभियान में विभिन्न साथियो से मिले तो हमे भरपूर समर्थन मिला परन्तु एक बुद्धिजीवी साथी ने अजीब पर अच्छा प्रश्न किया उन्होंने पूछा की सपाक्स की लड़ाई से हमे क्या मिलेगा, अभी तक क्या हमने खोया और यदि में सहयोग नही करूं तो क्या हो जायेगा।
चूँकि प्रश्न एक लाइन का है पर उत्तर काफी विस्तृत दिया है इसलिए आपको भी धैर्य के साथ पढ़ना होगा। हमने उनसे कहा सपाक्स संस्था का लक्ष्य ये है-
पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था को समाप्त किया जावे और योग्य व्यक्तियों की पदोन्नति की जावे। पदोन्नति सिर्फ सपाक्स समाज के ही लोगो की नही होगी जो भी योग्य है उसकी होगी वो किसी भी जाती, समाज या धर्म का हो।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के बाद के फायदे -
1- योग्य व्यक्तियों की पदोन्नति होगी तो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा, आर्थिक सक्षमता में वृद्धि होगी।
2- योग्य व्यक्तियों के उच्च पदों पर आने से देश की प्रशासनिक क्षमता में वॄद्धि होगी तो अच्छे निर्णय लिए जायेंगे। देश की तरक्की होगी, विश्व में भारत का नाम चलेगा हर क्षेत्र में।
3- देश में योग्य व्यक्तियों के आगे आने से शिक्षा व्यवस्था मजबूती होगी तो भावी पीढ़ी अपने आप मजबूत निकलेगी।
4- योग्यता के मान से पद और पैसा मिलेगा तो आत्मसम्मान में वृद्धि होगी और कार्यकुशलता बढ़ती जावेगी।
अब उनके दूसरे प्रश्न का जवाब यदि सपाक्स अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाती ( वेसे तो ये असम्भव है हम निश्चित ही जीतेंगे) या विलम्ब होता है तो क्या नुकसान
1- ऊपर जितने भी फायदे लिखे पहले तो वो नही होंगे।
2- देश का भविष्य और विकास की बागडोर अयोग्य व्यक्तियों के हाथों में आने से क्या होगा इसकी कल्पना करना भी अंतर्मन को झकझोर दे रहा है।
3- अयोग्य व्यक्ति सड़के बनाएंगे, पुल का निर्माण, स्कूलो में शिक्षा देंगे, अस्पताल में इलाज करेंगे तो आप स्वयं समझदार हे की ऐसी हालत में क्या होगा।
4- हमारे समाज की भावी पीढ़ी पूर्ण बेरोजगार हो जावेगी जिसके कारण वो आर्थिक रूप से कमजोर भी होगे तो अगला कदम उनका आत्महत्या का भी हो सकता है। एक सर्वे के अनुसार देश में बेरोजगारीे और अयोग्य उच्च अधिकारियों की मानसिक प्रताड़ना के करना जितनी भी आत्महत्याएं हुई है वो सभी साथी सपाक्स समाज के ही किसी परिवार के थे।
5- अयोग्य एवं कनिष्ट व्यक्ति के अधीनस्थ कार्य करने के कारण आत्मग्लानि और अशांति होगी और ये अशांति परिवार में भी पहुचेगी तो जिना दूभर हो जायेगा।
अब उनके अंतिम प्रश्न का जबाव: अगर उन्होंने सहयोग नही दिया तो क्या होगा।
1- जैसे देश को आज भी इस बात का दुःख है की 1857 में सभी ने मंगल पांडे का साथ दिया होता तो देश कब का आजाद हो जाता।
2- महाराणा प्रताप का उस समय साथ दिया होता तो मुगल कभी के भाग जाते।
3- संविधान समिति में अंबेडकर के अलावा अन्य साथी भी थे जो सपाक्स समाज के थे उस समय उन्होंने विरोध किया होता, या आज तक उनको श्रेय तक नही मिला ये आवाज उठाई जाती। ऐसे कई उदाहरण है जिसमे उसी समय आग लग जाती तो कायापलट हो जाती।
4- आप यदि सहयोग नही करते तो आप भविष्य में होने वाली सभी आत्महत्याओं के जिम्मेदार होंगे, आपको देश की तरक्की में बाधक माना जावेगा। अंततः आपको कुलद्रोही और देशद्रोही समझा जा सकता है।
फिर जातेे समय हमने उनसे बोला और आप भी यदि कोई असहयोग हेतु बोले (वैसे तो ऐसा होगा नही) तो सिर्फ ये कहना की
1- आप सपाक्स समाज के नही है तो सहयोग न देवे।
2- यदि आप मानते है कि आप योग्य नही है और भविष्य में आपके घर में कोई भी योग्य पैदा नही होंगे तो आप सहयोग न करे।
3- यदि आप इस देश के नागरिक नही है और आपको इस देश से, समाज के विकास से कोई लेना देना नही है तो आप सहयोग न करे।
4- यदि आपको लगता है की आप आर्थिक तौर पर बहुत कमजोर है और ऐसे ही गरीब बने रहना चाहते है तो सहयोग न करे।
सारांश ये ही की जिन साथियो ने 2002 से इस युद्ध का शंखनाद किया है वो 2017 में निश्चित विजय हो रहे है। अब तो अंगुली कटाकर शहीद बनने के बारी आई है तो चूके नही। संस्था को तन, मन और धन से सहयोग कर देश की सबसे मजबूत संस्था बनावे। क्योंकि इस संस्था का लक्ष्य केवल सपाक्स समाज को मजबूत बनाना मात्र नही है हम समाजवादी नही है पर समतावादी जरूर है। हमारा लक्ष्य देश को हर स्तर पर मजबूत बनाना है तो आओ साथियो एक दिन का वेतन देश और समाज के हित में समर्पित करे।
जय हिन्द, जय सपाक्स