भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने खेती को लाभ का धंधा बनाने का संकल्प लिया था। वो तो पूरा नहीं हो सका, अलबत्ता सरकार ने किसान को फायदे में पहुंचाने का एक प्रबंध जरूर कर दिया। अब किसान अपने खेत को कार्पोरेट कंपनियों को किराए पर दे सकेंगे। कंपनियां उनके खेत में उद्योग स्थापित करेंगी। शासन ने 750 उद्योगों को लिस्टेड किया है जिससे प्रदूषण नहीं फैलता। इसके लिए लैंडयूज चेंज कराने की जरूरत नहीं होगी।
पत्रकार बृजेंद्र वर्मा की रिपोर्ट के अनसार इसके लिए प्रदेश सरकार ने शहरों के मास्टर प्लान में संशोधन का प्रस्ताव जारी कर दिया है। 15 दिन के भीतर लोग नगरीय विकास एवं आवास विभाग, मंत्रालय और टीएंडसीपी के जिला कार्यालयों पर अपने सुझाव दे सकेंगे। इसके बाद आपत्तियों का निपटारा कर नए बदलाव लागू होंगे।
बदलाव इसलिए किया
अस्पताल और कॉलेजों के बाद भी भोपाल में 40 प्रतिशत सार्वजनिक अर्ध सार्वजनिक (पीएसपी) लैंडयूज की जमीन खाली है। अब आईटी और गैर प्रदूषणकारी उद्योगों की यहां स्थापना होने से लोगों को घर के पास काम-काज की सुविधा मिल सकेगी, जबकि खेती की जमीन का भी किसान पर्यटन में उपयोग कर सकेंगे।
अब खेती की जमीन पर यह हो सकेगा
पर्यटकों के लिए कॉटेज, रेस्टोरेंट, योग सेंटर, प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, स्डट फार्म, कर्मचारी आवास, ओपन एयर थिएटर, कला प्रदर्शन केंद्र आदि।
यह होगा फायदा
राजस्थान की तर्ज पर शहरों से सटे क्षेत्रों में ग्रामीण पर्यटन में रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। अभी नियम न होने से अवैध निर्माण हो रहा है। अब यह थमेगा। आईटी में भी नई कंपनियां आएंगी। खासकर रहवासी क्षेत्रों के पास खाली पड़ी पीएसपी लैंडयूज का उपयोग हो सकेगा। गैर प्रदूषणकारी उद्योग शहरों में विकास की नई संभावनाएं खोलेंगे। अलग से औद्योगिक जमीन की जरूरत नहीं होगी। आम जिंदगी से जुड़ी चीजों की लागत कम होगी।