भोपाल। मप्र की शिवराज सरकार पैसा कमाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। पेट्रोलियम पदार्थों सहित तमाम उत्पादों पर देश में सबसे ज्यादा टैक्स थोपने के बाद अब सरकार ने ड्राइविंग, लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, नवीनीकरण और फिटनेस फीस इत्यादि में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी की है। अब सरकार एक नियम और बदलने जा रही है। कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अब तक 8वीं पास अनिवार्य था, अब सरकार अंगूठाछापों को भी लाइसेंस देने तैयार है। जो सरकारी फीस और दलालों की घूस चुकाने में सक्षम है, मध्यप्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर सकता है। क्या फर्क पड़ता है कि मप्र की सड़कों पर देश में सबसे ज्यादा एक्सीडेंट होते हैं और मौतों का ग्राफ चौंकाने वाले आंकड़ों तक पहुंच गया है।
कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 8वीं पास की अनिवार्यता इसलिए की गई थी ताकि ड्राइवर सड़कों पर आए दिन बदलने वाले निर्देशों और साइन बोर्ड को आसानी से पढ़ सके। कमर्शियल ड्राइवर सारे देश में जाता है। कई राज्यों में हिंदी भाषा नहीं होती। वहां अंग्रेजी भाषा वाले बोर्ड पढ़ने पढ़ते हैं अत: समय की मांग है कि 8वीं पास की शर्त को बढ़कार 12वीं पास कर दिया जाए लेकिन सरकार इस शर्त को ही समाप्त करने जा रही है। तर्क ये दिया जा रहा कि मौजूदा एक्ट में कमर्शीयल लाइसेंस बनवाने 8वीं पास होना अनिवार्य है। ऐसे में कई अशिक्षित चालक बेहतर ड्राइविंग के बाद भी लाइसेंस नहीं बनवा पाते।
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नए एक्ट में ये बदलाव संभावित
नए एक्ट में अब कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने 1 साल तक इंतजार नहीं करना होगा। आवेदक सीधे आवेदन कर कमर्शियल लाइसेंस बनवा सकेंगे। मौजूदा एक्ट में कमर्शियल वाहन जैसे, टैक्सी, बस, ट्रक, सवारी जीप, लोडिंग वाहन चलाने के लिए कमर्शियल लाइसेंस सिर्फ 1 साला सामान्य लाइसेंस के बाद बनवाया जा सकेगा। कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस की मियाद 3 साल से बढ़ाकर 5 साल की जा सकती है। यानी 5 साल तक के लिए वैध होंगे। आरटीओ में दलाली प्रथा किस कदर हावी है यह अब बताने की जरूरत नहीं। अत: एक अनपढ़ और मोतियाबिंद का मरीज भी मप्र में कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस बनवा सकते हैं।