नईदिल्ली। नेशनल रेस्त्रां एसोसिएशन ऑफ इंडिया मोदी सरकार के विरोध में आ खड़ी हुई है। मोदी सरकार ने कल ही कहा था कि होटल रेस्टोरेंट में यदि आप सेवाओं से संतुष्ट ना हों तो सर्विस चार्ज चुकाने से इंकार कर दें। यह अनिवार्य नहीं है परंतु नेशनल रेस्त्रां एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने बयान जारी किया है कि जिसे सर्विस चार्ज चुकाने में दिक्कत हो तो रेस्त्रां में खाना खाने ना आए।
एसोसिशन ने दावा किया है रेस्त्रां द्वारा लगाया जाने वाला सर्विस चार्ज पूरी तरह से उपभोक्ता कानून के तहत है, जब तक कि रेस्त्रां द्वारा ग्राहक से अनुचित चार्ज न वसूला जाए। देशभर के रेस्त्रां का प्रतिनिधित्व करने वाली एसोसिशन के अध्यक्ष रियाज अमलानी ने कहा कि उपभोक्ता कानून के तहत रेस्त्रां द्वारा ग्राहकों पर गलत सर्विस चार्ज लगाना और फिर उसे जबरन वसूलना गलत है।
मोदी सरकार ने दिए आदेश
आपको बता दें कि सोमवार को केंद्र सरकार ने राज्यों से भी यह सुनिश्चित करने को कहा है कि होटल-रेस्त्रां परिसर में इस तरह की जानकारी जरूर चस्पा की जाए जिसमें लिखा हो खानपान के बिल पर सर्विस चार्ज अनिवार्य नहीं है। केंद्रीय खाद्य उपभोक्ता मंत्रालय के आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘उपभोक्ताओं की ओर से कई सारी शिकायतें आई हैं कि होटलों और रेस्तराओं में टिप्स के नाम पर 5-10 प्रतिशत तक सर्विस चार्ज लिया जाता है जिस वजह से ग्राहकों को मजबूरन उसका भुगतान करना पड़ता है, चाहे वे उनकी सेवाओं से असंतुष्ट ही क्यों न हों।’
स्वेच्छा से चुकाया जाना चाहिए सर्विस चार्ज
मंत्रालय ने भारतीय होटल संघ से इस संबंध में जब स्पष्टीकरण मांगा तो संघ का कहना था कि सर्विस चार्ज पूरी तरह स्वविवेकाधीन है और यदि कोई ग्राहक खानपान अनुभव से असंतुष्ट होता है तो वह इस चार्ज से छूट पा सकता है। लिहाजा यह शुल्क स्वेच्छा से चुकाया जाना चाहिए।
जबरन वसूले तो उपभोक्ता फोरम में शिकायत करें
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधानों का जिक्र करते हुए मंत्रालय ने कहा कि यह कानून कारोबार के तौर-तरीके बताता है जो विक्रय को बढ़ावा देने, किसी वस्तु के इस्तेमाल या सप्लाई या किसी सेवा के प्रावधान से जुड़ा है।
यदि कोई गलत या भ्रामक तौर-तरीका अपनाया जाता है तो उसे अनुचित कारोबारी प्रक्रिया माना जाता है। इस तरह के अनुचित कारोबारी प्रक्रिया के खिलाफ उपभोक्ता किसी उपयुक्त उपभोक्ता मंच में शिकायत कर सकता है।