भोपाल। खुलासा हुआ है कि मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर शुरू हुए रोजगार मेलों में बेरोजगारों को कंपनियों में नौकरियों के फर्जी आॅफर दिए गए हैं। मेलों में बेरोजगारों के इंटरव्यू लिए गए, चयन कर लिया गया लेकिन कभी नौकरी पर नहीं बुलाया।
भोपाल में नवदुनिया के पत्रकार ध्रुव झा, जुगल पटेल एवं नंदकिशोर शर्मा ने सरकारी दस्तावेजों में रोजगार मेलों से नौकरी प्राप्त कर चुके युवओं से वन टू वन बात की। इस दौरान उन्हे पता चला कि कुछ युवाओं को तो कंपनियों ने तीन से चार बार सिलेक्ट कर लिया, लेकिन नौकरी के लिए आज तक नहीं बुलाया। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के गृह जिले के सीहोर, गुना और राजगढ़ में रोजगार मेले में फिर यही स्थिति बनी तो युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा। बेरोजगारों ने नाराजगी जाहिर की तो कंपनियों ने सरकारी अफसरों को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। पढ़िए भोपाल के तीन पत्रकारों की तहकीकात में हुए चौंकाने वाले खुलासे:
राजगढ़: बंद हो चुकी कंपनी को जबरन बुला लिया
18 नवंबर 2016 को नरसिंहगढ़ में रोजगार मेले में 13 कंपनियों ने 638 बेरोजगार युवाओं का इंटरव्यू लिया। 36 का चयन किया। जब इन सभी युवाओं से फोन कर पूछा कि आपको नौकरी मिली या नहीं? इस पर जवाब मिला- चयन तो हो गया था लेकिन कंपनियों ने बुलाया ही नहीं। कंपनियों का कहना है कि उनके पास अभी पद रिक्त नहीं हैं। पड़ताल में सामने आया कि ऐसी कंपनियों को मेले में बुला लिया गया जिनके पास या तो पद रिक्त नहीं हैं या फिर उनकी यूनिट बंद हो चुकी हैं। ब्यावरा की मधुमिलन इंडस्ट्रीज की 2 यूनिट लंबे समय से बंद हैं। कंपनी घाटे में है, कर्ज न चुका पाने पर बैंक ने यूनिटें सील कर दी हैं। सरकारी दबाव में इस कंपनी ने भी स्टॉल लगाकर युवाओं के इंटरव्यू ले लिए।
अधिकारियों को सब पता है
राजगढ़ के मोनू शर्मा बीसीए पास हैं। 18 नवंबर को मेले में गुना से आई आईएल एंड एसएस कंपनी के प्रतिनिधि योगेंद्र मिश्रा ने साक्षात्कार लिया। सिलेक्ट होने पर कंपनी प्रबंधन ने उन्हें 15 दिन बाद ज्वाइनिंग देने की बात कही, लेकिन कोई फोन नहीं आया। जब कंपनी में फोन लगाकर पूछा तो बताया गया कि अभी जगह खाली नहीं है। योगेंद्र मिश्रा से पूछा कि जब आपके पास पद रिक्त नहीं थे तो आपने स्टाल ही क्यों लगाया। इस पर उन्होंने कहा- अधिकारियों को पहले ही बता दिया था।
आंकड़ों में 1570 नौकरियां दिला दीं, हकीकत में सूपड़ा साफ
गुना जिले में 11 जुलाई 2016 को लगाए गए रोजगार मेले में विभाग ने 429 को नौकरी दिलाने का दावा किया। पड़ताल में अफसरों का दावा झूठा निकला। सभी युवाओं से फोन कर पूछा कि क्या आपको नौकरी मिली। जवाब मिला- नहीं। कुछ युवाओं ने तो यहां तक कहा कि हमारा चयन हो गया है, ये भी आपसे ही सुन रहा हूं। ये हाल तब है, जब विभाग का दावा है कि उन्हें एक साल में 1200 नौकरी दिलाने का लक्ष्य मिला था, लेकिन हमने 1570 को नौकरी दिला दी। जबकि हकीकत यह है कि किसी भी युवा को नौकरी नहीं मिली।
रोजगार अधिकारी का बहाना
म्याना के हरीगिरी गोस्वामी ने भी आवेदन किया था। उस समय अधिकारियों ने बताया था कि तुम्हारा वेल्डर के लिए चयन हो गया है लेकिन कंपनी के पास वैकेंसी नहीं है। होगी तब बुला लेंगे। लेकिन अभी तक कोई कॉल नहीं आया। गुना के रोजगार अधिकारी बीएस मीना का कहना है कि कुछ युवा ज्वाइन करने के बाद छोड़ देते हैं।
चयन करके चली गई कंपनी, नौकरी आज तक नहीं दी
जिले में 2016-17 में अब तक करीब 24 रोजगार मेले लगाए गए। इनमें करीब 2200 बेरोजगार युवाओं ने पंजीयन कराया। करीब 500 युवाओं का चयन किया गया। रोजगार विभाग के अधिकारियों का दावा है कि 70 को नौकरी दी गई। 26 दिसंबर 2016 को सीहोर शहर में एक रोजगार मेला लगाया गया। इसमें सेल मेन्यूफेक्चर कंपनी और सेनापति सिक्योरिटी सर्विस के प्रतिनिधियों ने 40 युवाओं को रोजगार दिलाने दावा किया। जब इन सभी युवाओं से फोन पर पूछा कि आपको नौकरी मिली या नहीं। 30 ने कहा- कंपनियों ने सिलेक्ट तो कर लिया था लेकिन उनका कहना था कि फिलहाल उनके पास जगह खाली नहीं है
रोजगार मेलों में हमें बेवकूफ बनाया जाता है
सीहोर के पर्वत सिंह ने बताया कि आयोजनों में बुलाकर हमें बेवकूफ बनाया जाता है। किसी को नौकरी नहीं देते। 26 दिसंबर को आयोजित दिव्यांग मेले में भी दो कंपनिया आई थी। जिन्होंने 40 युवाओं को सिलेक्ट तो कर लिया। लेकिन नौकरी किसी को भी नहीं दी।