नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से शक्कर की मिठास लगातार महंगी होती जा रही है। अब गरीबों को मिलने वाली शक्कर भी महंगी होने वाली है क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार शक्कर पर दी जाने वाली 18.50 रुपये प्रति किलो सब्सिडी खत्म करने वाली है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार का मानना है कि नए खाद्य सुरक्षा कानून में गरीबी रेखा से नीचे यानी बीपीएल परिवारों के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं है।
स्कीम में 40 करोड़ बीपीएल लाभार्थियों को लक्षित किया गया है। इन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत वितरित करने के लिए हर साल करीब 27 लाख टन चीनी की जरूरत होती है। मौजूदा स्कीम के तहत पीडीएस के तहत राशन की दुकानों पर वितरण के लिए राज्य सरकारें खुले बाजार से चीनी खरीदती हैं। लाभार्थियों को चीनी 13.50 रुपये प्रति किलो के मूल्य पर सुलभ कराई जाती है। राज्यों को केंद्र सरकार से इसके लिए 18.50 रुपये प्रति किलो सब्सिडी मिलती है। यदि सब्सिडी हटा दी गई तो यह शक्कर दोगुने से भी ज्यादा महंगी हो जाएगी। 13.50 रुपए किलो मिलने वाली शक्कर 32 रुपए किलो मिलेगी।
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय से संकेत हैं कि मौजूदा चीनी सब्सिडी स्कीम को अगले वित्त वर्ष से बंद किया जा सकता है। इस बीच केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने वित्त मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि चीनी सब्सिडी पूरी तरह खत्म न की जाए। यह स्कीम कम से कम अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) परिवारों के लिए जारी रखी जाए। इस वर्ग में सर्वाधिक गरीब परिवार आते हैं।
खाद्य मंत्रालय ने राज्यों को भी इस बात के संकेत दे दिये हैं कि केंद्र सरकार अगले साल से सब्सिडी खत्म कर सकती है। ऐसे में उन्हें राशन की दुकानों पर रियायती चीनी वितरित करने का समूचा वित्तीय बोझ या तो खुद उठाना होगा या फिर शक्कर महंगी हो जाएगी।