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एचटी की एक खबर में आर्मी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पिछले 7-8 साल में रक्षा मंत्रालय के मेडल विभाग ने अन्य किस्म के मेडल जारी नहीं किए हैं। ओरिजनल और नकली मेडल में फर्क इतना है कि असली मेडल में जवान का नाम और नंबर उस पर अंकित होता है जबकि नकली पर ऐसा नहीं होता। स्थानीय मार्केट से उन्हें इस कमी को पूरा करना पड़ रहा है।
एक वरिष्ठ आर्मी अफसर के मुताबिक जवानों को सम्मानित करने में दिए जाने वाले शौर्य मेडल्स हैं, लेकिन समस्या बाकी मेडल्स में है क्योंकि सर्विस में एक तय समय पूरा करने के बाद जवानों को मेडल्स देने होते हैं। जानकारी मिली है कि डिपार्टमेंट अलग-अलग तरह के 14 लाख मेडल्स के बैकलॉग से जूझ रहा है। एक अफसर ने कहा कि इस बारे में कई बार डिपार्टमेंट को खत लिखा जा चुका है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।
गौरतलब है कि अफसरों को उनकी सर्विस के दौरान शौर्य, विशिष्ट सेवा, प्रशस्ति और सेवा पदक दिए जाते हैं। इसमें से शौर्य चक्र एक आयोजन के दौरान भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।