गरीबों को बिना नौकरी मासिक वेतन देगी मोदी सरकार

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। भारत में निर्धन ना​गरिकों के लिए चलाई जा रहीं सैंकड़ों कल्याणकारी योजनाओं को बंद करके मोदी सरकार एक सार्वभौमिक बुनियादी आय (यूबीआई) योजना चलाने वाली है। इसके तहत सभी निर्धन नागरिकों को एक तय रकम हर महीने दी जाएगी। मोदी के सलाहकारों का कहना है कि इससे सरकार पर हर साल पढ़ने वाला भारी बोझ थोड़ा कम हो जाएगा। 

आर्थिक समीक्षा में विभिन्न सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के विकल्प के रूप में गरीबों को एक न्यूनतम आय (सर्वजनीन बुनियादी आय) उपलब्ध कराने की पुरजोर वकालत की गयी है। इसके लिये समीक्षा में ‘हर आंख के हर आंसु को पोछने’ के महात्मा गांधी के दृष्टिकोण का उल्लेख किया गया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आज संसद में पेश 2016-17 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘‘यूबीआई एक सशक्त विचार है। अगर इसे लागू करने नहीं तो इस पर चर्चा करने का समय जरूर आ गया है।’’ समीक्षा में कहा गया है, महात्मा (गांधी) को यूबीआई को लेकर यह चिंता हो सकते थे कि यह सरकार के अन्य कार्यक्रमों की तरह एक और कार्यक्रम है लेकिन अन्त में इसका समर्थन कर सकते हैं।

उचित बुनियादी आय मुहैया कराने की योजना
देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रह्मण्यम द्वारा लिखित आर्थिक सर्वेक्षण को सरकार ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन मंगलवार को सदन में पेश किया, जिसमें गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले भारतीयों को उचित बुनियादी आय मुहैया कराने की योजना चलाने पर जोर दिया गया है, जो कि एक सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें कहा गया है कि जिन जिलों में गरीबी अधिक है, वहां राज्य के पास उन्हें मदद देने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं।

गरीबों को मदद देने के लिए चलाई जाएगी ये योजना 
सर्वेक्षण में कहा गया है कि गरीबों की प्रभावी तरीके से मदद के लिए जरूरी है कि उन्हें सीधी वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाए, जो यूबीआई के माध्यम से दी जाए। यूबीआई योजना जो इससे पहले किसी देश में लागू नहीं की गई है, के बारे में पहले सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इसके तहत सरकार द्वारा गरीबी हटाने के लिए चलाई जा रही 1000 से ज्यादा योजनाओं को बंद कर सभी नागरिकों को बिना शर्त 10,000 रुपये से 15,000 रुपये नकदी दी जा सकती है।

UBI को सफल बनाने के लिए दो चीजों की जरूरत
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि यूबीआई के सफल बनाने के लिए दो और चीजों की जरूरत है। एक तो प्रभावी जेएएम (जन धन, आधार और मोबाइल) प्रणाली, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नकदी का हस्तांतरण सीधे लाभार्थी के खाते में हो और दूसरा इस कार्यक्रम की लागत साझा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार में सहमति होनी चाहिए।

नीति आयोग ने दिए थे ये तर्क
इस दौरान नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया ने हाल के एक साक्षात्कार में कहा है कि भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के लिए यूबीआई लागू करने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधन का अभाव है। पनगढ़िया ने इस महीने की शुरुआत में अंग्रेजी अखबार को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "आय का वर्तमान स्तर और स्वास्थ्य, शिक्षा, अवसंरचना और रक्षा क्षेत्र में हमारी निवेश की जरूरत को देखते हुए हमारे पास 130 करोड़ भारतीय लोगों को उचित बुनियादी आय मुहैया कराने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधन नहीं हैं।

10 हजार से कम कमाने वाले गरीबी रेखा से नीचे
शहरी गरीबी रेखा पर तेंदुलकर समिति ने 2011-12 की कीमतों के आधार पर इसे प्रति व्यक्ति 1,000 रुपये प्रति माह रखी है। इससे कम आय वालों को गरीबी रेखा से नीचे रखा गया है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!