भोपाल। कर्मचारियों के गुस्से को देखते हुए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट से प्रदेश में सशर्त पदोन्नति बहाल करने की गुहार लगाएगी। 24 जनवरी से मामले की सुनवाई शुरू हो रही है। पहले दिन की सुनवाई में सरकार के वकील कर्मचारियों से जुड़े तथ्यों के साथ कोर्ट के सामने यह बात भी रखेंगे। सरकार का तर्क है कि ऐसा करने से कर्मचारियों को रिटायर होने से पहले वाजिब हक मिल जाएगा, जिससे उनका गुस्सा भी कम होगा।
पदोन्नति में आरक्षण मामले में राज्य सरकार लगातार घिरती जा रही है। मामला जितना खिंच रहा है, कर्मचारियों का गुस्सा उतना ही बढ़ता जा रहा है। इसे देखते हुए सरकार को विकल्प तलाशना पड़ रहा है। सपाक्स, अजाक्स और सरकार भी तैयारी में जुटी है।
हालांकि इस बार सरकार का उद्देश्य तात्कालिक व्यवस्था बनाना है। उल्लेखनीय है कि जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर पहली सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटस को (यथास्थिति) कह दिया था। इसके बाद से प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी है।
फैसला आने तक पुरानी व्यवस्था बहाल कर दें
सरकार मामले की सुनवाई और फैसला आने तक प्रदेश में 30 अप्रैल 2016 के पहले की व्यवस्था फिर से बहाल करने की सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाने जा रही है। यानी 'मप्र लोक सेवा (पदोन्नति ) अधिनियम 2002" के तहत पदोन्न्ति की जा सकें। सरकार कोर्ट से यह वादा भी करेगी कि जो भी फैसला आएगा, वैसा लागू कर देंगे।
22 हजार कर्मचारी हो गए बिना प्रमोशन के रिटायर
जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद से अब तक प्रदेश में 22 हजार कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं। इनमें से करीब 15 हजार कर्मचारियों को 30 अप्रैल के बाद पदोन्नति मिलना थी, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के कारण नहीं मिली। अगले तीन माह में करीब 10 हजार कर्मचारी और रिटायर हो रहे हैं। इनमें से ज्यादातर को वर्ष 2016 और 2017 में पदोन्नति मिलना है। यदि सुप्रीम कोर्ट में बहस ज्यादा दिन चली और फैसला आने में देरी हुई तो यह कर्मचारी भी बगैर पदोन्नति रिटायर हो जाएंगे।
सरकार को डर है विस चुनाव तक न पहुंचे आंच
पदोन्नति में आरक्षण मामले में प्रदेश के कर्मचारी सरकार से सख्त नाराज हैं। उनका आरोप है कि हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अजाक्स के सम्मेलन में चले गए थे। तब से सरकार लगातार आरक्षित वर्ग के पक्ष में काम कर रही है और अनारक्षित वर्ग की अनदेखी की जा रही है। अब सरकार को डर है कि यह आंच विधानसभा चुनाव तक न पहुुंच जाए।
फैसले में समय लग सकता है
कुछ राज्यों में अभी भी पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था लागू है, इसलिए फैसले में समय लग सकता है। हम सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध कर रहे हैं कि पुरानी व्यवस्था फिलहाल बहाल कर दी जाए। फैसला जैसा आएगा, बाद में वैसा तय कर लेंगे।
पुरुषेंद्र कौरव, अतिरिक्त महाधिवक्ता