नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महिला और बाल विकास मंत्रालय से कहा कि वो चार महीने में फैसला ले कि नाबालिग पत्नी के साथ संबंध बनाना अपराध है या नहीं? कोर्ट ने आज इस मसले से जुड़ी याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता सरकार के फैसले से संतुष्ट न हो तो दोबारा अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में नाबालिग लड़कियों से शारीरिक संबंध से जुड़े दो कानूनों में विरोधाभास दूर करने की मांग की गयी थी। Protection of Children from Sexual Offences Act यानी पॉक्सो के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से शारीरिक संबंध बनाना अपराध है. लेकिन आईपीसी की धारा 375 में दर्ज बलात्कार की परिभाषा में 15 साल की उम्र से ऊपर की पत्नी के साथ बने शारीरिक संबंध को बलात्कार नहीं माना गया है।
याचिका में कहा गया था कि इस तरह का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है. इनसे न सिर्फ महिलाओं के साथ भेदभाव की स्थिति पैदा होती है, बल्कि ये सम्मान के साथ जीने के अधिकार का भी हनन है. सुप्रीम कोर्ट इससे पहले महिला और बाल विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय महिला आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांग चुका है लेकिन आज कोर्ट ने मसले को मंत्रालय के पास वापस भेज दिया।
इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ये मान चुकी है कि बलात्कार की परिभाषा में 15 साल से ऊपर की पत्नी से संबंध को अपवाद मानना सही नहीं है. सरकार का कहना था कि जब कानून में ये छूट दी गई, तब देश में 2 करोड़ से ज़्यादा नाबालिग लड़कियां विवाहित थीं. ऐसे में लोगों को परेशानी से बचाने के लिए इस तरह की छूट दी जानी ज़रूरी थी.