नई दिल्ली। भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या 31 अक्टूबर 1984 को हुई थी। इससे पहले वो पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों को तबाह करने की योजना बना रहीं थीं। उनके पास पुख्ता जानकारी थी कि पाकिस्तान चोरी छुपे परमाणु बम बना रहा है। उन्होंने 1984 में नवंबर से लेकर फरवरी 1985 के बीच पाकिस्तान के न्यूक्लियर कांप्लेक्स पर हमला करने की योजना बनाई थी। क्योंकि उस समय मौसम साफ होता है और हमला आसान होता लेकिन इससे पहले ही उनकी हत्या हो गई और यह हमला नहीं हो सका।
इसका खुलासा अमेरिका की सीआईए रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत, पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमला कर सकता था। 1984 में भारत के पास मिग-29 के रूप में बड़ी ताकत थी, जिसका मुकाबला पाकिस्तान नहीं कर सकता था। पाक के पास मौजूद एफ-16 विमानों की तुलना में मिग-29 की मारक क्षमता जबरदस्त थी। भारतीय वायुसेना पलक झपकते ही पाकिस्तान की वायुसीमा पर अधिकार कर पाक के परमाणु ठिकानों को कब्जे में ले सकती थी।
सीआइए के आंकलन के मुताबिक अगर पाकिस्तान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर भारत हमला करता तो पाकिस्तान को ट्रैक पर आने में सालों साल लग जाते है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों की सुरक्षा अपर्याप्त थी। भारतीय वायुसेना की तेज मारक क्षमता को पाकिस्तान के लिए झेल पाना नामुमकिन था। पाकिस्तान के कहुटा एनरिचमेंट प्लांट और पिंसटेक न्यू लेबोरेट्री तक भारत महज 30 मिनट के अंदर पहुंच सकता था।
रिपोर्ट का कहना है कि भारतीय वायुसेना के पास पाकिस्तान की तुलना में बेहतर संसाधन थे। इसके अलावा आइएएफ के पास प्रशिक्षित और पेशेवर सैनिकों की क्षमता ज्यादा थी। पाकिस्तान के पास जो भी क्षमता थी उसके बूते वो भारत का मुकाबला नहीं कर सकता था। सीआइए के मुताबिक अगर पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर भारत हमला करता तो वो मिग-23 और जगुआर विमानों का इस्तेमाल करता। वर्ष 1984 में नवंबर से लेकर फरवरी के बीच पाकिस्तान के न्यूक्लियर कांप्लेक्स पर हमला कर सकता था। इसके पीछे वजह ये बतायी गई कि उन दिनों कम बारिश होने की वजह से ठिकानों की पहचान आसानी से की जा सकती थी।
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