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प्रमोशन में आरक्षण मामले को चुनाव तक खींचना चाहते हैं शिवराज

BHOPAL | सुप्रीम कोर्ट 24 जनवरी से पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई शुरू करेगा। सुनवाई लगातार चलेगी। संभावना है कि 31 जनवरी तक फैसला भी आ जाए। ऐसे में राज्य सरकार की अब तक कोई रणनीति नहीं है। बताया जा रहा है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान इस मामले को चुनाव तक खींचना चाहते हैं। उनके विशेष अधिकारी इसी दिशा में काम कर रहे हैं कि किस तरह मामले को सुप्रीम कोर्ट में लंबित रखा जा सके। 

सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर को मामले में सुनवाई की थी। समय कम होने से कोर्ट ने दोनों पक्षों की सहमति से सुनवाई की तारीख 24 जनवरी तय कर दी और मामले को लगातार सुनने का भरोसा दिलाया है। सूत्र बताते हैं कि मामले में सुनने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। क्योंकि हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के आधार पर फैसला सुनाया है। इसलिए दोनों पक्षों को सुनकर फैसला सुना दिया जाएगा। इस हिसाब से 5 से 6 दिन में सुनवाई पूरी हो सकती है। मामले में सामान्य प्रशासन विभाग के अफसर खुलकर बात नहीं कर रहे हैं। उनका सिर्फ इतना ही कहना है कि जो फैसला आएगा, उसके हिसाब से तैयारी करेंगे।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल-16 को 'मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) अधिनियम 2002" खारिज कर दिया है। तभी से प्रदेश के कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि कानून खारिज होने के कारण प्रदेश में पदोन्न्ति नहीं हो रही है। करीब चार हजार कर्मचारी हर माह बगैर पदोन्न्ति के रिटायर हो रहे हैं।

सरकार की तैयारी नहीं
सुप्रीम कोर्ट अनारक्षित वर्ग या आरक्षित वर्ग किसके पक्ष में फैसला सुनाएगा, ये तो समय आने पर पता चलेगा। यदि अनारक्षित वर्ग के पक्ष में फैसला आया, तो 2002 से अप्रैल-16 तक पदोन्नति लेने वाले कर्मचारियों को रिवर्ट करना पड़ेगा। इसके लिए इस अवधि में पदोन्नत कर्मचारियों की सूची तैयार करना पड़ेगी और यह परीक्षण करना पड़ेगा कि कर्मचारी 14 साल पुराने पद पर रिवर्ट होंगे, तो उनसे कितनी राशि वसूली जाएगी। यदि फैसला आरक्षित वर्ग के पक्ष में आया, तो भी हाईकोर्ट के फैसले के बाद जिन कर्मचारियों की पदोन्न्ति रुक गई थी, उन्हें पदोन्नति दी जाना है।

सरकार की रणनीति
सूत्र बताते हैं कि ये मामला वोट बैंक से जुड़ा है। इसलिए सरकार ने अपनी रणनीति बना रखी है। वे बताते हैं कि फैसला आरक्षित वर्ग के पक्ष में आया, तो 8 माह से रुकी पदोन्नति जल्द शुरू हो जाएगी, लेकिन फैसला अनारक्षित वर्ग के पक्ष में आया, तो मामला विधानसभा चुनाव तक खींचा जाएगा।

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