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भारतीय मानक ब्यूरो में लगभग 18 अफसर-कर्मचारियों का स्टाफ है। इनमें से दो तिहाई स्टाफ औद्योगिक इकाइयों को आईएसआई मार्का एवं हॉलमार्क लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में तैनात है। स्टॉफ निर्धारित औपचारिकताओं के बाद लाइसेंस जारी कर देता है लेकिन इसके बाद सामानों की गुणवत्ता पर नियंत्रण और मानिटरिंग बाकी बचे छह अफसरों पर है।
मॉनिटरिंग के लिए अफसरों को बाजारों में बिक रहे सामान की पड़ताल एवं छापामारी करना होता है, लेकिन बीते दो साल में सिर्फ छह छापा ही मारे। वहीं इनकी भर्ती भी 4-5 साल पहले ही हुई है। ब्यूरो ने अपना कोई सूचना तंत्र तैयार नहीं किया है। ब्यूरो ने साल भर में एक बार भी जनता से शिकायत करने की अपील की। ज्यादातर लोगों को ब्यूरो का पता ही नहीं मालूम। केवल वो शिकायतें जो प्रतिद्वंदी करते और कार्रवाई के लिए लगातार दवाब बनाते हैं, पर ही कार्रवाई हुई।
नकली माल की जब्ती नहीं
ब्यूरो नकली मार की जब्ती नहीं करता। स्टाफ की कमी के नाम पर जो मौजूद हैं, वो भी काम नहीं करते। भोपाल शहर में ही कई महीनों तक इस तरह की कार्रवाई नहीं की जाती। प्रदेश के अन्य जिलों की स्थिति और भी दयनीय है। वहां तो शिकायतें मिलने के बाद भी दौरे नहीं होते।
9 महीने में 6 कार्रवाई
इस वित्त वर्ष में ब्यूरो ने छह प्रतिष्ठानों पर ही छापे की कार्रवाई की। बिना लायसेंस के हॉलमार्क ज्वेलरी बेचने की शिकायत पर हुई यह कार्रवाई एक-दूसरे से संबद्ध भी थी। उज्जैन के 4 ज्वेलर्स एवं 1-1 प्रतिष्ठान इंदौर-भोपाल (डीपी ज्वेलर्स) के थे। इनके अलावा सर्वे-छापे की कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई।
स्टाफ बढ़ाने भेजा प्रस्ताव
हां, यह सही है कि हमारे पास स्टाफ कम है जिससे सर्वे-छापे की कार्रवाई केवल शिकायतों पर ही हो पाती है। बीच में मार्केट का सर्वे भी करते हैं। स्टाफ की डिमांड के संदर्भ में मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है।
प्रीति भटनागर, प्रमुख भारतीय मानक ब्यूरो भोपाल