नईदिल्ली। देश बदल रहा है। सबकुछ आॅनलाइन और कैशलेस हो रहा है। सरकार ने नोटबंदी करके सारे देश का सिस्टम ही बदल दिया लेकिन सरकारी ढर्रा आज भी वेसा का वैसा ही है। दिल्ली के अस्पतालों में पीओएस मशीनें नहीं हैं। यहां तक कि डिजिटल इंडिया की ताकत और भव्यता प्रदर्शित करने वाले मुख्य समारोह के टिकट भी आॅनलाइन नहीं थे।
भारत के गणतंत्र दिवस समारोह की सबसे मुख्य बात है कि नई दिल्ली के राजपथ पर भव्य परेड, जिसमें देश अपनी विविधता, प्रगति और सैन्य शक्ति को दर्शाता है। रक्षा मंत्रालय ने जनवरी में राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड और विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए टिकटों की बिक्री शुरू की। टिकट बिक्री में कैशलेस पेमेंट को पहली बार अपनाया गया। इसके लिए नई दिल्ली में पांच काउंटर स्थापित किए गए, जहां पर POS मशीन भेजी गई।
गणतंत्र दिवस के टिकटों की ऑनलाइन बिक्री डिजिटल इंडिया के विचार को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक कदम हो सकता था। परेड के लिए टिकटों की ऑनलाइन बिक्री इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) के साथ मिलकर की जा सकती थी। जो कि भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स सेवा है। वर्ष 2015 में सुरक्षा कारणों की वजह से गणतंत्र दिवस के टिकटों की खरीद के लिए सरकार ने पहचान पत्र अनिवार्य कर दिया था। क्या ऐसा ऑनलाइन बिक्री में नहीं हो सकता था? ऑनलाइन टिकटिंग के लिए आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जा सकता था। किसी की पहचान करने के लिए यह सबसे आसान और अच्छा माध्यम हो सकता था। 26 जनवरी, 2017 पर, जब भारत डिजिटल युग की तरफ बढ़ते हुए अपने तकनीकी कौशल का प्रदर्शन कर रहा होगा। तब राजपथ में आपको पेपर टिकट लेकर परेड देखनी होगी।