यौन प्रताड़ना: महिला वकील ने जज के खिलाफ झूठी शिकायत की थी, याचिका खारिज

जबलपुर। महिला वकील ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके वहां के पूर्व डीजे और वर्तमान में ग्वालियर में पदस्थ एक न्यायिक अधिकारी पर यौन उत्पीड़न के सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। महिला का आरोप है कि जज साहब उसे चाहे जब अपनी कोर्ट या चेम्बर में किसी न किसी बहाने से बुलाते थे। कहते थे, मैडम आप बहुत खूबसूरत हैं, वकालत चमकाना है तो शाम को बंगले पर आओ।

याचिका में लगे आरोपों को गंभीरता से लेने के बाद एक्टिंग चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस एचपी सिंह की युगलपीठ ने मामले पर दखल देने से इनकार कर दिया। युगलपीठ ने कहा है कि प्रशासनिक स्तर पर मिली शिकायत पर जांच हुई, जिसमें आरोप गलत पाए गए। अब याचिकाकर्ता दंप्रसं में मौजूद विकल्पों के तहत कार्रवाई करने स्वतंत्र हैं।

बार-बार कोर्ट रूम या चेम्बर में बुलवाते थे
यह याचिका धार जिले में रहने वाली एक महिला वकील की ओर से दायर की गई थी। आवेदक का आरोप था कि धार के पूर्व डीजे ने हमेशा यौन उत्पीड़न की कोशिश की। बार-बार कोर्ट रूम या चेम्बर में बुलवाते थे। बेमतलब के मुद्दे पर बात करना, बातों के दौरान होंठ और आंखों से आपत्तिजनक इशारे करना उनकी आदत में शुमार था। यह रवैया डीजे के गरिमामयी पद और याचिकाकर्ता के आत्मसम्मान के खिलाफ था। वे कोशिश करते थे कि मोबाइल पर याचिकाकर्ता उनसे बात करें। हद तो तब हो गई, जब डीजे ने याचिकाकर्ता को चेम्बर में बुलाकर वकालत में नाम रोशन करने अपने बंगले पर आने का प्रस्ताव रखा। याचिकाकर्ता का आरोप है कि वो डर और शर्म के कारण डीजे के बंगले पर नहीं गई। 

पहले याचिकाकर्ता ने एक शिकायत अधिवक्ता संघ में की। याचिकाकर्ता का दावा है कि उसके अलावा कई और महिला कर्मियों ने भी डीजे के खिलाफ शिकायतें की थीं। इस बारे में दी गईं शिकायतों के बाद भी डीजे के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई।

क्या कहा कोर्ट ने
मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा- ‘प्रशासनिक स्तर पर हुई जांच में महिला के आरोप असत्य पाए जाने के कारण ही डीजे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिकाकर्ता फिर भी डीजे के रवैये से व्यथित है तो वह दंप्रसं के तहत कार्रवाई करने स्वतंत्र है।’ सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता समदर्शी तिवारी हाजिर हुए।

बयान हुए, लेकिन कॉपी नहीं दी
महिला का आरोप है कि 4 अप्रैल 2016 को उसने एक शिकायत हाईकोर्ट को भेजी। शिकायत पर प्रारंभिक जांच हुई, जिसमें हाईकोर्ट की इन्दौर खण्डपीठ के रजिस्ट्रार विजिलेंस ने 15 सितंबर 2016 को उसके बयान लिए। उसके बाद उसने कार्रवाई की एक कॉपी मांगी तो वह गोपनीय दस्तावेज बताकर नहीं दी गई।

FIR न होना मेरे अधिकारों का हनन
याचिका में महिला अधिवक्ता ने आधार लिया है कि भारत के संविधान ने उसे सम्मान के साथ जीने की स्वतंत्रता दी है। यौन उत्पीड़न के संगीन मामले में धार के पूर्व डीजे के खिलाफ एफआईआर दर्ज न होना उसको संविधान में दिए गए अधिकारों का खुला उल्लंघन है। याचिका में डीजे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की राहत चाही गई थी।

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