
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया ने 30 दिसंबर को सचिवों का प्रभार रोजगार सहायकों को देने का आदेश दिया था। वह मुरैना जिले में बेअसर साबित हो रहा है। पहले तो रोजगार सहायक सरपंचों के भी हड़ताल पर होने के चलते चार्ज लेने से बच रहे हैं। वहीं सचिव भी चार्ज देने के लिए तैयार नहीं हैं। ज्यादातर रोजगार सहायकों के पास फिलहाल राज्य शासन का यह आदेश आया भी नहीं है। इधर रोजगार सहायक संगठन के प्रदेश नेतृत्व ने भी सचिव और सरपंचों के संगठन को अपना नैतिक समर्थन दिया है। इसलिए वे भी नैतिक तौर से इस हड़ताल के साथ हो लिए हैें।
वित्तीय अधिकारों को लेकर असमंजस
रोजगार सहायक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रोशन सिंह परमार ने बताया कि जहां केवल सचिव हड़ताल पर हैं वहां तो रोजगार सहायक सचिव का चार्ज ले सकते हैं, लेकिन जहां सरपंच और सचिव दोनों ही हड़ताल पर हैं, ऐसी जगहों पर सचिवों के प्रभार खासकीय वित्तीय प्रभार के हस्तांतरण में तकनीकी परेशानी आ सकती है। श्री परमार के मुताबिक फिर भी चूंकि रोजगार सहायक हड़ताल पर नहीं हैं। ऐसे में शासन अगर बीच का रास्ता निकालकर रोजगार सहयकों को पंचायतों का प्रभार लेने के लिए आदेशित करता है तो नैतिक रूप से रोजगार सहायक संगठन के सचिव व सरपंचों के साथ होते हुए भी उन्हें सचिवों का प्रभार लेना होगा।
जुलानिया के आदेश को दिखाई आग
सचिव संगठन के मुरैना अध्यक्ष धीरज सिंह कंषाना ने बताया कि जुलानिया के आदेश को पहले ही सचिव व सरपंच आग की लपटों के हवाले कर चुके हैं। कंषाना के मुताबिक अब सरपंच और सचिव संगठनों के आंदोलन में एक और मुद्दा जुड़ गया है। जिसे संगठनों ने 'राधेश्याम जुलानिया हटाओ, पंचायती राज बचाओ' नाम दिया है। लिखित पे्रस विज्ञप्ति में संगठन ने इस नारे को भी अपनी मांगों में शुमार किया है। वहीं संगठन पदाधिकारियों ने राधेश्याम जुलानिया के 10 जनवरी तक अवकाश पर रहने और उनका कार्यभार दूसरे अधिकारी को मिल जाने व सीएम के वापस प्रदेश में आने पर सुनवाई होने की उम्मीद भी जताई है
कथन
हमें रोजगार सहायक संगठन ने भी नैतिक समर्थन दिया है। सरपंच और हम हड़ताल पर हैं। ऐसे में रोजगार सहायक वित्तीय अधिकार और प्रभार लेने से इनकार कर रहे हैं। हमारा आंदोलन लगातार जारी रहेगा। जुलानिया के आदेश की होली सचिव व सरपंच संगठनों ने विरोध स्वरूप जलाई है।
धीरज सिंह कंषाना, अध्यक्ष सचिव संगठन मुरैना
कथन
हमारा पूरा समर्थन सचिव व सरपंच भाइयों के साथ है। जहां सरपंच हड़ताल पर हैं, वहां वित्तीय अधिकार रोजगार सहायकों को मिलने में कठिनाई है। फिर भी सरकार अगर कोई निर्देश देती है तो हड़ताल पर न होने के नाते रोजगार सहायकों को आदेश मानना होगा, लेकिन हम नैतिक समर्थन पहले ही सरपंच व सचिवों के आंदोलन को दे चुके हैं।
रोशन सिंह परमार, अध्यक्ष रोजगार सहायक संगठन मध्यप्रदेश
कथन
शासन के आदेश के बाद हमने रोजगार सहायकों को चार्ज लेने के निर्देश जारी कर दिए हैं, लेकिन व्यवहारिक कठिनाई सरपंचों के ज्वाइंट एकाउंट को लेकर है। अगर वे किसी वित्तीय आदेश पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो बैंक भुगतान भी नहीं करेंगे। अगर रोजगार सहायक चार्ज नहीं लेते हैं तो शासन के निर्देश के तहत कार्रवाई की जाएगी।
अनुराग वर्मा, सीईओ जिला पंचायत मुरैना