चीन की मशीनों से कैशलेस बन रहा है इंडिया

नईदिल्ली। दीपावली पर चीन की 25 रुपए वाली बिजली की झालरों तक का विरोध किया गया था और अब नोटबंदी के बाद मोदी सरकार ही चीन को फायदा पहुंचा रही है। सबसे पहले चीन से वित्तपोषित कंपनी पेटीएम को फायदा दिया गया अब स्वैपिंग मशीन के लिए चीन को हजारों करोड़ का फायदा पहुंचाया जा रहा है। सरकार ने कैशलेस इंडिया का अभियान शुरू कर दिया है जबकि स्वैपिंग मशीन का निर्माण भारत में होता ही नहीं। वो चीन से मंगवाई जाती हैं। 

आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोट बंदी की घोषणा की थी। इसके बाद से मार्केट को कैशलेस किए जाने की प्रक्रिया ने जोर पकड़ लिया। लेकिन यह अभियान अभी तक परवान नहीं चढ़ सका है क्योंकि बैंकों में डिमांड के मुताबिक स्वैपिंग मशीन मौजूद नहीं है। जानकारी के मुताबिक एसबीआई, यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक, पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा समेत निजी क्षेत्र के एचडीएफसी, आईसीआईसीआई आदि बैंकों में स्वैपिंग मशीन के लिए लगभग पांच करोड़ आवेदन पेंडिंग हैं।

दस तक मशीनें आने की उम्मीद
बैंक अधिकारियों का कहना है कि स्वैपिंग मशीन का आयात चाइना से होता है। माना जा रहा है कि दस जनवरी तक चाइना से आठ लाख स्वैपिंग मशीनों का आयात भारत में होने जा रहा है। इसके बाद मशीनों की किल्लत से काफी हद तक छुटकारा मिल जाएगा। इतना ही नही, बीस जनवरी के बाद से ऑन डिमांड स्वैपिंग मशीन उपलब्ध कराए जाने का दावा भी बैंकों की ओर से किया जा रहा है।

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