मुखाग्नि देने भी नहीं आया बेटा, वृद्धा ने दी पति की चिता को आग

सिवनी। यहां टूटे रिश्तों की संवेदनहीन कहानी का एक ऐसा पन्ना खुला कि हर देखने सुनने वाले की आंख में आंसू आ गए लेकिन वो गुस्से से लाल हो गया। अपने माता पिता को घर से निकाल देने वाले बेटे ने पिता को मुखाग्नि देने से भी इंकार कर दिया। मजबूर वृद्ध पत्नी ने अपने पति की चिता को आग दी। 

सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन विभाग के उपसंचालक वी एस बघेल ने बताया कि नूतन महिला कल्याण समिति द्वारा संचालित वृद्धा आश्रम में पिछले दो साल से पत्नी सागन बाई (68) के साथ रह रहे मंगल विश्वकर्मा (75) का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया.

उन्होंने कहा कि बालाघाट जिले के थाना कटंगी के ग्राम अगासी निवासी मेहतर विश्वकर्मा (40) वयोवृद्ध दम्पति का इकलौता बेटा है, जिसने घरेलू झगड़ों और विवाद के बाद अपने माता-पिता को घर से निकाल दिया था. बाद में बेसहारा बुजुर्ग दम्पति सिवनी के वृद्धा आश्रम में आकर रहने लगे.
बघेल ने बताया कि लकवे से पीड़ित पिता की गंभीर हालत की जानकारी बेटे को कई बार दी गई, लेकिन वह उसे देखने तक नहीं आया. इस वयोवृद्ध दम्पति का बेटा पेशे से बढ़ई है, जिसे पिता के निधन की भी सूचना दी गई लेकिन उसने अंतिम संस्कार में आने से साफ तौर पर इंकार कर दिया.

उन्होंने कहा कि बेटे से खफा होकर सागन बाई ने अपने पति के शव को खुद ही मुखाग्नि देने का निर्णय लिया. बघेल ने बताया कि शहर के समाजसेवियों ने वृद्घा आश्रम से मोक्षधाम तक मृत मंगल विश्वकर्मा की शव यात्रा निकाली और अर्थी को कंधा दिया. इसमें आश्रम की संचालिका नीतू श्रीवास्तव समेत यहां रह रहे करीब दो दर्जन वृद्धजन और कर्मचारी शामिल हुए.

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