भोपाल। आप किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार कीजिए। फिर चाहे वो बिजली चोरी का मामला हो या आंगनवाड़ी में भ्रष्टाचार का। जांच अधिकारी रिश्वत लेकर आपका केस रफादफा कर देगा। मप्र में अब यह परंपरा बन गई है। आए दिन लोकायुक्त के छापों में रिश्वतखोरी उजागर हो रही है। वो तो लोकायुक्त के पास स्टाफ कम है, यदि लोकायुक्त तक आम आदमी की पहुंच आसान हो जाए तो हर रोज दर्जनों मामले सामने आएंगे। फिलहाल मामला बिजली चोरी और आंनगवाड़ी का है।
पहला मामला प्रदेश के नरसिंहपुर से आ रहा है। यहां जबलपुर लोकायुक्त पुलिस ने महिला एवं बाल विकास अधिकारी जितेंद्र राज को चार हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। करेली में पदस्थ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता संजुलता पटेल की शिकायत के आधार पर यह कार्रवाई की गई है। अनियमितताओं से जुड़े मामले में कार्रवाई नहीं करने के मामले में रिश्वत मांगी गई थी। रिश्वखोर अफसर पहली किश्त में एक हजार रुपए ले चुका था। दूसरी बार रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त पुलिस ने उसे धरदबोचा।
दूसरी गिरफ्तारी शिवपुरी में हुई है। यहां लोकायुक्त पुलिस ने बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर अमित कुमार को 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। कार्रवाई में शामिल लोकायुक्त पुलिस अफसरों ने बताया कि किसान मुकेश रावत ने शिकायत की थी कि फाइल को निपटाने के एवज में अमित कुमार ने उससे 40 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी।
किसान ने रिश्वत देने के बजाए ग्वालियर लोकायुक्त एसपी को पूरे मामले की शिकायत कर दी। शिकायत की तस्दीक के बाद एक विशेष टीम ने मंगलवार को अमित कुमार को 40 हजार रुपए की रिश्वत राशि के साथ धरदबोचा। दोनों ही मामलों में आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया।