नोटबंदी: खाते में जमा थे पैसे, बैंक ने नहीं दिए, इलाज के आभाव में पत्नी की मौत

सिहोरा। किसान मंडी में बेची धान का पैसा पाने 15 दिनों तक चक्कर लगाता रहा, लेकिन रुपया नहीं मिला। इलाज नहीं मिलने से किसान की पत्नी की बुधवार को मौत हो गई। मामला सिहोरा तहसील की ग्राम पंचायत बेला का है।

ये है पूरा मामला ग्राम बेला के किसान गंगाराम तिवारी (58) ने बताया कि पत्नी अल्का तिवारी (50) 30 दिसम्बर को अचानक सीने में दर्द उठा। जबलपुर में डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने बताया कि दिल में वाल्व खराब हो गया। जिसका ऑपरेशन अहमदाबाद में होगा, जिसमें लंबा खर्च आएगा। दो एकड़ जमीन से गंगाराम किसी तरह अपना परिवार चलाता था।

सिर्फ बैंक में चक्कर पर चक्कर गंगाराम ने 25 दिसम्बर को प्राथमिक कृषि सहकारी समिति में 89 बोरी (35 क्विटल) धान बेची थी। विक्रय धान की राशि 52332 रुपए थी। पत्नी के इलाज के इस राशि के लिए किसान गंगाराम 15 दिनों तक जिला सहकारी बैंक और समिति के चक्कर लगाता रहा। बैंक के अधिकारी किसान को यहां से वहां भटकाते रहे। किसान को फसल बीमा की राशि 20795 का प्रमाण पत्र भी मिला था, लेकिन खाते में राशि नहीं आई।

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