जबलपुर। हाईकोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका का निराकरण कर दिया, जो भोपाल के बहुचर्चित एनकाउण्टर में मारे गए सिमी कार्यकर्ताओं को आतंकी बोले जाने के खिलाफ दायर की गई थी। एक्टिंग चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस अंजुली पालो की युगलपीठ ने विस्तृत आदेश सुनाते हुए कहा है कि इस मसले पर हम मीडिया को कोई भी निर्देश नहीं दे सकते। युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को स्वतंत्रता दी है कि प्रेस काउंसिल एक्ट के तहत वो चाहे तो प्रेस काउंसिल को आवेदन दे सकता है।
युगलपीठ ने यह फैसला भोपाल के हम्मालपुरा में रहने वाले शमशुल हसन की ओर से दायर याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया था कि भोपाल में 8 सिमी कार्यकर्ताओं के एनकाउण्टर के बाद मीडिया में उन्हें आतंकी बताया जा रहा है। आवेदक का कहना था कि मारे गए सभी लोग एक ही समुदाय के थे और उनके खिलाफ कोर्ट में ट्रायल चल रहा था। उन सभी को कोर्ट ने सजा नहीं दी और न वो आतंकी साबित हुए, ऐसे में मीडिया द्वारा बार-बार उन्हें आतंकी बोलना अनुचित है। इस बारे में प्रिंट और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया को आवश्यक निर्देश दिए जाने की राहत चाहते हुए ये जनहित याचिका दायर की गई थी।
मामले पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने याचिका में उठाए गए तथ्यों को हस्तक्षेप अयोग्य पाया। युगलपीठ ने कहा कि इस बारे में कार्रवाई का एक विकल्प प्रेस काउंसिल एक्ट में मौजूद है, लिहाजा याचिकाकर्ता वहां पर शिकायत देकर अपनी बात रख सकते हैं। इस मत के साथ युगलपीठ ने याचिका का निराकरण कर दिया। युगलपीठ द्वारा सुनाए गए विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है। राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने पक्ष रखा।
जांच में दखल से इनकार
वहीं एनकाउण्टर की जांच की निष्पक्षता को कठघरे में रखने वाले पत्रों का भी पटाक्षेप युगलपीठ ने कर दिया है। भोपाल जेल में बंद सिमी कार्यकर्ताओं, बंदियों व उनके रिश्तेदारों की ओर से ये पत्र हाईकोर्ट को भेजे गए थे। एक्टिंग चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बैंच ने कहा है कि एनकाउण्टर से संबंधित दो याचिकाएं पूर्व में निराकृत हो चुकी हैं। चूंकि इस मसले पर आयोग की जांच चल रही है, इसलिए मामले में दखल देना अनुचित होगा। युगलपीठ द्वारा इस पत्रों पर भी सुनाए गए विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है।