ट्रंप पहले राष्ट्रपति बन जाते तो ना स्‍टीव जॉब्‍स होते ना एप्पल जैसी कंपनी

Bhopal Samachar
वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने अमेरिका आने वाले सात देशों के मुसलमान शरणार्थियों के लिए एक आदेश के बाद एयरपोर्ट्स पर नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया है लेकिन शुक्र मनाइए कि डोनाल्‍ड ट्रंप आज से 70 वर्ष पहले ट्रंप अमेरिका के राष्‍ट्रपति नहीं थे। अगर वह राष्‍ट्रपति होते तो न आज दुनिया के पास स्‍टीव जॉब्‍स जैसा आदर्श होता और न ही स्‍टेटस सिंबल बन चुकी कंपनी एप्‍पल का कोई वजूद होता।

सीरिया के रहने वाले हैं जॉब्‍स के पिता
ट्रंप ने जिन सात देशों के मुसलमान शरणार्थियों को बैन किया है उसमें सीरिया से आने वाले शरणार्थी भी शामिल हैं। अब आपको बता दें कि स्‍टीव जॉब्‍स के जैविक पिता भी एक सीरियन शरणार्थी थे और सीरिया के शहीर होम्‍स से आकर अमेरिका में बसे थे। स्‍टीव जॉब्‍स सीरिया के अप्रवासी अब्‍दुल्‍ला जॉन जनदाली और जोआन सीबल के बेटे थे। स्‍टीव जॉब्‍स की बॉयोग्राफी जिसे वसल्‍ट इसाक्‍सन ने लिखा था उसके मुताबिक अब्‍दुल्‍ला सन 1950 में अमेरिका आए थे। 

अब्‍दुल्‍ला सीरिया के एक प्रतिष्ठित और अमीर परिवार से ताल्‍लुक रखते हैं। 50 के शुरुआती दौर में उन्‍होंने लेबनान की राजधानी बेरुत स्थित अमेरिकन यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और इसके बाद ही वह यूनिवर्सिटी ऑफ विस्‍कोनसिन में पढ़ाई के लिए चले गए।

नहीं हो सकी माता-पिता की शादी
इस यूनिवर्सिटी में टीचिंग असिस्‍टेंट के तौर पर नौकरी करते हुए ही उनकी मुलाकात जॉब्‍स की मां जोआन सीबल से हुई। दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन जोआन के पिता को अब्‍दुल्‍ला के सीरियन और मुसलमान होने पर आपत्ति थी। इस वजह से दोनों की शादी नहीं हो सकी लेकिन दोनों इस कदर करीब आ चुके थे कि जॉब्‍स की मां जोआन शादी से पहले ही गर्भवती हो गई। जोआन ने 24 फरवरी 1955 को जॉब्‍स को जन्‍म दिया। शादी की मंजूरी नहीं मिलने की वजह से उन्‍हें जॉब्‍स को गोद के लिए देना पड़ा। 

जॉब्‍स को जन्‍म के बाद पॉल राइनहोल्‍ड जॉब्‍स ने गोद लिया और इस तरह से स्‍टीव को जॉब्‍स सरने मिला। अब्‍दुल्‍ला और जोआन बाद में एक बेटी मोना सिंपसन के भी माता-पिता बने। मोना आज एक राइटर हैं और काफी मशहूर हैं।

इमीग्रेशन पर दी थी ओबामा को सलाह
स्‍टीव जॉब्‍स अगर आज जिंदा होते तो वह निश्चित तौर पर राष्‍ट्रपति ट्रंप के विरोध में आवाज उठाते। वर्ष 2010 में जॉब्‍स की मुलाकात पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा से हुई थी। यहां पर जॉब्‍स ने राष्‍ट्रपति ओबामा से कहा कि उन्‍हें इस तरह की इमीग्रेशन नीतियां बनानी होंगी जो विदेशी ग्रेजुएट छात्रों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद अमेरिका में ही रहने की आजादी दें। जॉब्‍स का मानना था कि इसमें कोई तर्क नहीं है कि अमेरिका की बेस्‍ट यूनिवर्सिटीज से डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को उनके देश वापस भेज दिया जाए।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!