कोलकाता। तीसरी क्लास में पढ़ाई जाने वाली किताब अमादेर पोरिबेस (हमारा परिवेश) की पाठ्य सामग्री पर विवाद खड़ा हो गया है। परिवेश के बारे में पढ़ाने वाली इस किताब में 'रामधनु' (इंद्रधनुष) का नाम बदल दिया गया है, साथ ही ब्लू का मतलब आसमानी रंग बताया गया है। ऐसा करने के पीछे धर्मनिरपेक्षता का तर्क दिया गया है।
धर्मनिरपेक्षता का हवाला दिया
पश्चिम बंगाल में इंद्रधनुष को 'रामधनु' कहा जाता है। किताब में 'रामधनु' की जगह 'रंगधनु' लिखा हुआ है साथ ही ब्लू का मतलब आसमानी रंग बताया गया है। सोशल मीडिया पर ये कंटेंट ट्रेंड कर रहा है। कहा जा रहा है कि धर्मनिरपेक्षता के लिए रामधनु का नाम बदलकर 'रंगधनु' लिखा गया है। वहीं ब्लू का मतलब आसमानी बता दिया गया।
एक समुदाय को खुश करने के लिए बदला नाम
शिक्षाविद् मुकोपाध्याय का कहना है कि साहित्यकार राजशेखर बसु ने सबसे पहले 'रामधनु' का प्रयोग किया था लेकिन अब एक समुदाय विशेष को खुश करने के लिए किताब में इसका नाम 'रामधनु' से बदलकर 'रंगधनु' कर दिया है, इससे कोई फायदा नहीं होगा। वहीं एक अन्य शिक्षाविद् आनंददेव कहते हैं कि इससे बच्चों को ही समझने में परेशानी होगी। नई चीजें किताब में आना बच्चों के लिए ठीक नहीं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस के अधीर चौधरी का कहना है कि सत्ता पक्ष ऐसा करके संस्कृति खराब कर रही है। तृणमूल कांग्रेस एक खास वोटबैंक के लिए ऐसा कर रही है। अधीर का कहना है कि किसी पर प्रेशर नहीं डाला जा सकता है।
BJP के समीक भट्टाचार्या का कहना है कि टीएमसी ने ऐसा जान-बूझकर किया है। उनका कहना है कि राम एक नैतिक मूल्यों वाला शब्द है और नैतिकताविहीन पार्टी टीएमसी इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रही है।
शिक्षामंत्री ने झाड़ा पल्ला, अफसर ने दिया जवाब
वहीं प्रदेश के शिक्षा मंत्री पार्थों चट्टोपाध्याय ने कहा कि इस मामले में प्राथमिक शिक्षा के चेयरमैन से बात की जाए, वही बता पाएंगे। इस बारे में जब प्राथमिक शिक्षा के चेयरमैन अभीक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सभी समुदायों से पूछ कर ऐसा किया गया है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।