भोपाल। स्थान- पीएचक्यू, दिन बुधवार, दोपहर 11:30 बजे, बैठक- डीजीपी के कार्यालय में। सीआईडी के अफसरों के साथ डीजीपी की अहम बैठक। सुरक्षा के तमाम इंतजाम तोड़ते हुए अचानक एक महिला बैठक में पहुंची और जमकर हंगामा किया। महिला क्या चाहती थी, ये ढाई घंटे तक कोई समझ नहीं सका और अंतत: बैठक स्थगित करनी पड़ी।
दरअसल राजधानी के अरविंद विहार निवासी स्मिता चौधरी (57) पुलिस के सुरक्षा इंतजामों से इस कदर खफा थीं कि वे अब थाने के बजाय सीधे डीजीपी से बात करने पीएचक्यू पहुंची थी। तीन जनवरी को उनके घर में घुसकर बदमाशों ने लूटपाट की थी।
इससे पहले भी उनके यहां चोरी हो चुकी है। वे दोपहर 11 बजे पीएचक्यू पहुंची तो उन्हें पास बनवाने को कहा गया, इस पर वे झल्ला उठीं और सुरक्षा में तैनात जवानों को फटकारा कि मुझे नहीं पहचानते, आज ही तो सभी अखबारों में मेरी फोटो छपी है। मना करने के बावजूद वे बहस करती रहीं।
इस बीच अंदर जा रहे एक अधिकारी ने उनसे बात की और उन्हें अंदर जाने दिया। चौधरी को अंदर बताया गया कि डीजीपी बैठक में हैं, तो वे उनके कार्यालय की ओर गईं। मना करने पर भी वे बैठक के बीच ही दाखिल हो गईं और हिंदी-अंग्रेजी में अपनी पीड़ा बताने लगीं। हालांकि वहां मौजूद कोई अफसर उनकी बात नहीं समझ सका। वे डीजीपी से बात करने पर अड़ी रहीं।
इस बीच डीजीपी बैठक स्थगित कर उन्हें अपने कार्यालय में भी ले गए, लेकिन ढाई घंटे बीत जाने के बाद भी ये स्पष्ट नहीं हो सका कि वे क्या चाहती हैं? चौधरी इस दौरान उस अधिकारी को भी बुलाने की मांग करती रहीं, जिसकी मदद से वे पीएचक्यू में दाखिल हुईं थीं।
आखिरकार उस अधिकारी को भी बुलाया गया, पर उनकी समझाइश भी चौधरी पर बेअसर रही। एडिशनल एसपी हितेश चौधरी भी पहुंचे और उन्हें समझाया, जिसके बाद वे लौटने को तैयार हुईं। हंगामे की खबर मिलते ही चौधरी के परिजन मौके पर पहुंच गए और घटनाक्रम के लिए खेद जताते हुए उन्हें अपने साथ ले गए। उन्होंने चौधरी की मानसिक दशा सही न होने का भी हवाला दिया।