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1989 बैच के आईएएस ऑफिसर कुमार का कहना है कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के झगड़े में उन्हें मोहरा बनाया गया। उन्होंने लिखा है कि उन्हें 2008 में देश का सबसे प्रतिष्ठित पीएम मेडल मिला और पब्लिक सर्विसेज में शानदार योगदान के लिए प्राइम मिनिस्टर अवॉर्ड दिया गया, लेकिन अब उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। सीबीआई के जरिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और झूठे केसों में फंसाया जा रहा है। गौरतलब है कि वे दिल्ली में पहली बार सत्ता में आई केजरीवाल सरकार के दौरान भी सीएम के सचिव थे।
सीएम को फंसाने के लिए डाला दबाव
राजेंद्र कुमार का कहना है, ‘सीबीआई ने उन्हें और मुख्यमंत्री को फंसाने के लिए लोगों पर दबाव डाला और बहुत से लोगों की पिटाई भी की।’ लेटर में कुमार ने लिखा है, ‘इस सिस्टम पर उन्हें बहुत विश्वास था, क्योंकि एक गरीब परिवार से आना वाला शख्स भी सिविल सर्विसेज एग्जाम में सफलता पाकर आईएएस बन गया था, लेकिन आज हालात बदल गए हैं।’उनके मुताबिक सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का उल्लंघन किया गया और उनका निलंबन गैरकानूनी तरीके से दो अक्टूबर को फिर से 180 दिनों के लिए बढ़ा दिया।
राजेंद्र कुमार पर क्या है आरोप
दिल्ली डायलॉग कमीशन के पूर्व सदस्य सचिव और वरिष्ठ नौकरशाह आशीष जोशी ने जून, 2015 में दिल्ली एसीबी प्रमुख एमके मीणा और सीबीआई को पत्र लिखकर राजेंद्र कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। जोशी ने दावा किया था कि ऐसी कंपनियों को 50 करोड़ रुपये से ज्यादा के आईटी संबंधित कार्य और एसएपी लाइसेंस दिए गए, जिनमें राजेंद्र कुमार के रिश्तेदार निदेशक थे।
आरोपों के मुताबिक राजेंद्र कुमार ने मई 2002 से फरवरी 2005 तक शिक्षा निदेशक के रूप में, फिर सचिव (आईटी), सचिव (स्वास्थ्य) और आयुक्त (वैट) के पद पर रहते हुए कई कंपनियां बनाकर, बिना टेंडर जारी किए अपनी ही कंपनी को काम दिए। इसके जरिए उन्होंने गलत तरीके से कमाई की और सरकार को भी वित्तीय नुकसान पहुंचाया।