DELHI UNIVERSITY: छात्रा न्यूड वीडियो पोर्न साइट पर

Bhopal Samachar
दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली एक लड़की को उस समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब एक्स बॉयफ्रेंड ने उसकी तस्वीरें पोर्न वेबसाइट पर डाल दी। लोगों के तनाव और बदनामी का सामना करते हुए 22 साल की यह लड़की सरकार से पिछले दो हफ्तों से ज्यादा समय से मदद की गुहार लगा रही है लेकिन लड़की को बचाने के बजाए भारत के कानून ने उसकी मुश्किलें और बढ़ा दी। 

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक डिपार्टमेंट ऑफ टेक्नोलॉजी में मदद के लिए पहुंची इस लड़की को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कोर्ट से ऑर्डर लाने के लिए कहा गया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक बिना ऑर्डर के किसी भी कंटेट को वेबसाइट से हटाया नहीं जा सकता है। 

जाने-माने एडवोकेट प्रशांत माली का कहना है कि कोर्ट से ऑर्डर लाना वास्तव में एक लंबी और संपूर्ण प्रक्रिया और इससे पीड़ितों को मुसीबत का सामना भी करना पड़ सकता है। मदद की गुहार लगाने वाली लड़की ने कहा कि कुछ समय पहले मुझे न्यूड फोटो पोर्न वेबसाइट्स पर पड़ी होनी की जानकारी मिली। लड़की ने फोटो अपलोड करने का आरोप अपने एक्स बॉयफ्रेंड पर लगाया है। पीड़िता ने कहा कि कॉलेज डांस सोसाइटी ज्वाइन किए जाने से आरोपी गुस्सा में था और जिसके कारण उनका ब्रेकअप हो गया। 

तीन महीने पहले मेरी एक दोस्त का मैसेज आया और उसने बताया कि इंटरनेट पर मेरी तस्वीरें पड़ी हुई हैं। मेरी दोस्त ने मुझे बताया कि यह फोटो मेरे पूर्व प्रेमी द्वारा अपलोड की गई। जिसके बाद कई अंजान लोगों से भी मुझे मैसेज प्राप्त हुए। उसने बताया कि लिंक वायरल होने के बाद मेरा घर से निकला मुश्किल हो गया था। जिसके बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया और 7 जनवरी को एफआईआर दर्ज कराई।

पुलिस ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट के साथ-साथ आपराधिक धमकी की शिकायत दर्ज की। जब डिपार्टमेंट ऑफ टेक्नोलॉजी से उस कंटेट को हटाने के लिए और उस साइट को ब्लॉक करने के लिए कहा गया तो उन्हें इस कार्रवाई के लिए कोर्ट का ऑर्डर लाने को कहा। आखिरकार पुलिस को 23 जनवरी को कोर्ट का ऑर्डर मिल गया। 

जांचकर्ता कामिनी गुप्ता ने बताया कि तस्वीरों को तुरंत हटा दिया गया और एक टीम को आरोपी की तलाश में गोवाहटी भेजा गया है। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अनलाइन कंटेट को हटाने के लिए किसी भी सरकारी एजेंसी को कोर्ट के नोटिफिकेशन या ऑर्डर की जरुरत होगी।

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