BHOPAL | हमीदिया अस्पताल में डॉक्टर्स खुद को भगवान और मरीज के परिजन को गुलाम समझते हैं। परिजन अपने मरीज की देखभाल के लिए यहां आते हैं परंतु डॉक्टर उनसे बेगार कराते हैं। इतना ही नहीं, यदि वो ना नुकर करते हैं या ठीक तरह से डॉक्टर का हुकुम नहीं बजा पाते तो इसकी सजा दी जाती है। अटेंडर यदि काम करने से इंकार कर दे तो मरीज का इलाज बंद कर दिया जाता है। एक बार फिर ऐसा ही मामला सामने आया है।
जूनियर डॉक्टरों ने परिजनोें के साथ महज इसलिए मारपीट कर दी, क्योंकि जूनियर डॉक्टरों ने मरीज के परिजन दिलीप को अस्पताल की पलंगों पर रखी अन्य मरीजों फाइलों को इकट्ठा करने का आदेश दे दिया। जिसे दिलीप ने करने के लिए हामी तो भर दी लेकिन अन्य मरीजों द्वारा फाइल नहीं मिलने पर वो बगैर फाइल के जूडा के पास पहुंच गया।
जिसके बाद गुस्साए डॉक्टरों ने पटेल वार्ड में इलाज कराने के लिए आए मरीज हिम्मत सिंह रैकवार के चाचा दिलीप को पहले तो पहले चांटे जड़े और बाद में गाली-गलौच कर अस्पताल से बाहर कर दिया। देर रात कड़कड़ाती ठंड में मरीज के परिजन को पूरी रात अस्पताल के बाहर काटनी पड़ी। मरीज के परिजन का इलाज हो सके, इसलिए उन्होंने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई। हालांकि हमीदिया अस्पताल में स्थित पुलिस चौकी पर दिलीप की बात नहीं सुनी।