नईदिल्ली। माना जा रहा था कि नोटबंदी के कारण बैंक मालामाल हो गए लेकिन देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC BANK ने नोटबंदी के दौरान 4500 कर्मचारियों को नौकरी से बाहर निकल दिया। इतना ही नहीं बैंक ने संकेत दिए हैं कि यदि देश के आर्थिक हालात पटरी पर नहीं आए तो कर्मचारियों की छंटनी जारी रहेगी।
दो दिन पहले तीसरी तिमाही के नतीजों में एचडीएफसी बैंक ने अपना तिमाही मुनाफा 3865 करोड़ रुपये घोषित किया था। पिछले तिमाही के मुकाबले तीसरी तिमाही में बैंक को 15 फीसदी अधिक मुनाफा हुआ है। पिछले साल इसी तिमाही में बैंक को 3357 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
गौरतलब है कि यह पहला मौका है जब किसी बैंक ने एक तिमाही में इतने लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। एचडीएफसी बैंक के मुताबिक कर्मचारियों में इस कटौती के लिए नैचुरल एट्रीशन (नौकरी बदलने वाले कर्मचारी) के साथ-साथ बैंक द्वारा तीसरी तिमाही में कम कर्मचारियों की भर्ती जिम्मेदार है।
जहां सितंबर 2016 में बैंक के 95,002 कर्मचारी थे वहीं दिसंबर 2016 तक सिर्फ 90,421 कर्मचारी रह गए। कर्मचारियों की ज्यादातर कटौती बैंक के रीटेल कारोबार को बढ़ाने वाली टीम में हुई है। बीएसई पर बुधवार 25 जनवरी को एचडीएफसी बैंक के शेयर्स 1.58 फीसदी की उछाल के साथ 1,287 बंद हुए थे जबकि दिन के कारोबार में सेंसेक्स भी 1.21 फीसदी की मजबूती के साथ बंद हुआ था।