उपदेश अवस्थी/भोपाल। आप सबकुछ भुला सकते हैं लेकिन यदि आपने 2016 की यादों में बबलू मार्टिन को भुला दिया तो आपके इंसान होने पर धिक्कार हो जाएगा। यह वो महान योद्धा है जिसने एक मासूम की जान बचाने के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। फिक्र इतनी कि मृत्यु के समय भी तमाम पीड़ा होने के बावजूद आखें खुली थीं, यह देखने के लिए उस नन्ही परी को खरोंच तो नहीं आई, जिसके लिए मैं प्राण त्यागने जा रहा हूं। उस परिवार के लिए तो बबलू मार्टिन भगवान है लेकिन इस समाज के लिए भी किसी देवदूत से कम नहीं है। जिसकी मृत्यु समाज को स्थाई संदेश दे गई। गर्व करने का अवसर दे गई कि मध्यप्रदेश की धरती पर ऐसे महावीर आज भी जन्मते हैं।
बात अगस्त 2016 की है। सतना में जिस समय लोग एक गिरती हुई इमारत का वीडियो बना रहे थे, तब फुटबॉल प्लेयर बबलू मार्टिन इस इमारत के नीचे खड़े लोगों की जान बचाने में जुटा हुआ था। वो आखरी सांस तक लोगों को गिरती इमारत की चपेट में आने से बचाता रहा। उसने एक 3 साल के मासूम बच्चे और उसकी मां को बचाया। एक चौकीदार की 12 साल की बेटी को बचाया लेकिन जब तक वो खुद गिरती इमारत की रेंज से बाहर निकल पाता, मलवा उसके ऊपर आ गिरा। जब मलवा हटाकर बबलू मार्टिन को निकाला गया तब भी उसकी आखें खुली हुईं थीं, मानो देख रहीं हों कि कहीं कोई छूट तो नहीं गया। बबलू मार्टिन, हम आपकी बहादुरी को सलाम करते हैं, सारा मध्यप्रदेश आपको सेल्यूट करता है।
हादसा मैहर में हुआ। यहां हाउसिंग बोर्ड की तीन मंजिला इमारत ढह रही थी। कई लोग इसे गिरते हुए देख रहे थे। कुछ ने वीडियो भी बनाया। इसी भीड़ में मौजूद था बबलू मार्टिन जो फुटबॉल प्लेयर एवं क्रिकेट कोच भी है। वो बच्चों को खेल सिखाता है। अचानक बबलू की नजर इमारत के नीचे खड़े बच्चों पर पड़ी। वो दौड़कर गया और एक 3 साल के मासूम मयूर व उसकी मां को बचाकर ले आया। पलटकर देखा तो एक चौकीदार की 12 वर्षीय बेटी प्रभा भी गिरती इमारत की चपेट में आने वाली थी। इमारत तेजी से नीचे आ रही थी। बबलू भागकर गया और बच्ची को तेज धक्का दिया। वो बच्ची तो दूर छिटककर गिर गई, लेकिन बबलू खुद को बचा नहीं पाया। इमारत का सारा मलवा बबलू के ऊपर आ गिरा।
काफी प्रयास के बाद जब लोगों ने मलवा हटाकर बबलू को निकाला, तब भी उसकी आखें खुली हुईं थीं। कुछ इस तरह, जैसे वो देख रहा हो कि कहीं कोई रह तो नहीं गया। बहादुर बबलू की सांसें भी चल रहीं थीं परंतु वो नि:शब्द था। लोगों ने तत्काल उसे अस्पताल दाखिल कराया, परंतु सरकारी अस्पतालों का ढर्रा, महैर से उसे सतना रिफर कर दिया गया। इससे पहले कि ऐंबुलेंस सतना पहुंच पाती। बबलू मार्टिन सबको छोड़कर जा चुका था।
दे देवदूत बबलू मार्टिन। मध्यप्रदेश के 6 करोड़ लोग आपकी बहादुरी को सलाम कर रहे हैं। सरकार उसके परिवार की क्या मदद करेगी, यह तो आने वाला वक्त बताएगा परंतु बबलू मार्टिन हमारे दिलों में अमर हो गया है। उसे सदियों तक याद किया जाएगा और वो लोग जो बबलू मार्टिन की वजह से जिंदा हैं, उसे भगवान की तरह पूजेंगे।
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