चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि चीफ काजी की ओर से ट्रिपल तलाक को लेकर जारी किया गया कोई भी दस्तावेज महज एक राय है और उसकी कोई कानूनी वैधता नहीं है। जब तक इस मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा पर चर्चा हो रही है, तब तक किसी भी तरह के प्रमाण पत्र जारी करने से काजी को रोक दिया गया है।
राज्य सरकार ने चीफ काजी को कुछ मुस्लिम धर्म से जुड़े मामले में बतौर सलाहकार नियुक्त किया है। वकील और पूर्व एआईएडीएमके विधायक बद्र सईद ने मद्रास हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर काजी के द्वारा जारी किए जाने वाले सर्टिफिकेट को चुनौती दी थी।
उन्होंने तर्क दिया कि इन प्रमाण पत्रों को मनमाने ढंग से बिना एक कानूनी ढांचे के जारी किया जाता है। सईद ने काजी द्वारा जारी किए जाने वाले ट्रिपल तलाक की मंजूरी को बंद करने की मांग की थी। बाद में वुमन लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ मद्रास हाईकोर्ट और अन्य भी इस याचिका के पक्षकार बन गए।
बुधवार को चीफ जस्टिस संजय कृष्ण कौल और जस्टिस एमएम सुंद्रेश ने कहा कि काजी एक्ट 1880 की धारा 4 के तहत काजी या नईब काजी को कोई भी न्यायिक या प्रशासनिक शक्ति नहीं है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और शरीयत डिफेंस फोरम की ओर से पेश हुए वकील ने तर्क दिया कि चीफ काजी को शरीयत कानून में विशेषज्ञता होती है। ऐसे में वे ट्रिपल तलाक से संबंधित प्रमाण पत्र जारी कर रहे थे। हालांकि, ये प्रमाण पत्र 'केवल राय के रूप में' जारी किए गए थे।