प्रशासनिक ब्यूरो/भोपाल। इन दिनों शिवपुरी की प्रभारी कलेक्टर नेहा मारव्या अपने बेतुके निर्देशों के लिए सुर्खियों में हैं। वो शिवपुरी जिला पंचायत में CEO हैं एवं मात्र 45 दिनों के लिए उन्हे कलेक्टर का प्रभार मिला है। जिला पंचायत में कर्मचारियों के बीच अपनी दहशत जमा चुकीं नेहा मारव्या अब कलेक्टर की कुर्सी पर बैठकर कुछ अजीब किस्म के निर्देश जारी कर रहे हैं। महज एक सप्ताह में हालात यह बन गए कि कलेक्ट्रेट के कर्मचारी, अपने असली साहब के जल्द लौट आने की कामना करने लगे। वो किसी भी तरह 45 दिन गुजार लेना चाहते हैं। बता दें कि आईएएस नेहा मारव्या अपने सख्त लहजे के कारण अक्सर सुर्खियों में आ जातीं हैं। महज 5 साल की सर्विस में कई विवादों में इनका नाम आ चुका है।
पिछले सप्ताह जनसुनवाई के दौरान एक कर्मचारी नेहा मारव्या के समक्ष उपस्थित हुआ। वो अपनी लंबित समस्या के कारण इच्छामृत्यु की मांग कर रहा था। वो अपनी समस्या का तत्काल समाधान चाहता है। नेहा मारव्या ने समाधान तो नहीं किया, उल्टे उसके आवेदन पर एसपी शिवपुरी को निर्देशित किया कि पीड़ित के खिलाफ आईपीसी/सीआरपीसी के तहत कार्रवाई करें। विशेषज्ञ आज तक समझ नहीं पाए कि इच्छामृत्यु मांगने वाले पीड़ित के खिलाफ किन धाराओं में केस फाइल करें। जब यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आया तो सोमवार को जनसुनवाई से पहले उन्होंने निर्देश जारी किए कि जनसुनवाई के दौरान मीडिया का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। मीडिया ने इसका तीखा विरोध किया तो नेहा मारव्या ने यूटर्न ले लिया।
बता दें कि शिवराज सिंह सरकार ने 'जनसुनवाई' का आयाजन इसलिए किया है ताकि एक समय पर सभी विभागों के प्रमुख एक साथ उपलब्ध हों और शिकायतों का तत्काल समाधान किया जाए। शिवराज सरकार चाहती है कि आम जनता की कष्टनिवारक योजना का ज्यादा से ज्यादा कवरेज हो और लोगों को पता चले कि शिवराज सिंह सरकार में लोगों को तुरंत न्याय मिलता है। प्रभारी कलेक्टर नेहा मारव्या ने सरकार का उद्देश्य ही बदल दिया।
याद दिला दें कि 2011 बैच की आईएएस अफसर नेहा मारव्या जिला पंचायत जबलपुर, जिपं. दतिया, राज्य शिक्षा केंद्र, भोपाल के बाद शिवपुरी में जिला पंचायत की सीईओ बनाई गईं हैं। मात्र 5 साल में यह उनकी चौथी पोस्टिंग है। 2014 में गुना लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रचार वाहन के विरुद्ध बेवजह कार्रवाई के कारण चुनाव आयोग ने इनका तबादला आदेश जारी किया था। जबलपुर जिला पंचायत अध्यक्ष मनोरमा पटैल से विवाद काफी सुर्खियों में रहा है। यह विवाद तभी थम जब नेहा मारव्या का तबादला कर दिया गया। इसके अलावा सेंट्रल बैंक प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर की कोशिश भी काफी सुर्खियों बटोर चुकी है।