भोपाल। सरकार को राज्य के लगभग 9 लाख कर्मचारियों को सात प्रतिशत बढ़ाकर मंहगाई भत्ता देने के लिए विभागों में होने वाली तमाम खरीद पर रोक लगाना पड़ी है तो दूसरी ओर मार्केट से लोन लेने की तैयारी है।
क्रय पर रोक लगाने के बाद से कई कार्यालयों में फर्नीचर्स और स्टेशनरी की समस्या आने लगी है। कर्मचारियों के बढ़े हुए मंहगाई भत्ते से राज्य के खजाने में हर साल 1 हजार 60 करोड़ का वित्तीय भार आना संभावित है। इसके चलते वर्ष 2017 में कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देना भी मुश्किल हो गया है।
राज्य सरकार ने कर्मचारियों को डीए बढ़ाने के पहले निर्णय लिया है कि विभाग आगे से कोई खरीदी नहीं करेंगे। खासतौर पर लघु उद्योग निगम के माध्यम से होने वाली क्रय पर प्रतिबंध लगाया गया है। दिसम्बर माह के दूसरे पखवाड़े में जारी हुए आदेश में स्पष्ट किया है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 की समाप्ति तक क्रय के लिए विभिन्न स्तरों पर दी गई शक्तियां राज्य सरकार के पास अधिक्रमित रहेंगी। कहा गया है कि सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से खरीदी जाने वाली सामग्री पर रोक रहेगी। राज्य के 52 विभागों में मार्च समाप्त होने के पहले व्यापक तौर पर खरीदी की जाती है। कई विभाग नई कारें, फर्नीचर्स सहित स्टेशनरी खरीदते हैं। वन विभाग फेंसिंग के लिए बड़ी मात्रा में कंटीले तारों की खरीदी करता है। इस तरह दिसम्बर से फरवरी के बीच दो सौ करोड़ तक की सामग्री खरीद होती है जिस पर रोक लगाई गई है।
9 लाख को होगा फायदा
सात प्रतिशत मंहगाई भत्ता जनवरी से देने का निर्णय हुआ है। इस निर्णय से प्रदेश के करीब 9 लाख शासकीय सेवकों को फायदा होगा। इनमें चार लाख नियमित कर्मचारी, करीब 3 लाख पेंशनर्स, दो लाख संविदा शिक्षक और लगभग 25 हजार पंचायतकर्मी शामिल हैं।