MPPSC: मप्र में 60 से ज्यादा प्रोफेसर्स के दस्तावेज फर्जी

Bhopal Samachar
जबलपुर। सात साल पहले मप्र लोकसेवा आयोग (एमपीएससी) ने जिन प्राध्यापकों की नियुक्ति की उसमें से करीब एक सैकड़ा संदिग्ध मिली है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कराई गई जांच में 60 से ज्यादा की नियुक्ति फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र पर होना मिली। अब सरकार को एक्शन लेना है, लेकिन फैसला राजनैतिक दबाव में अटका है। गत दिवस उच्च शिक्षा मंत्री जबलपुर आए तो उन्होंने इस मामले में सख्त कार्रवाही का भरोसा दिया।

10 साल का अनुभव था जरूरी
प्रदेश में 2009 में पीएससी के जरिए करीब 203 प्राध्यापकों को नियुक्ति हुई। तत्तकालीन पीएससी के चेयरमैन पीके जोशी के कार्यकाल में इंटरव्यू शुरू हुए। निजी भर्ती के लिए 10 साल का टीचिंग अनुभव अनिवार्य था। नियुक्ति के लिए कई शिक्षकों ने फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र तैयार करवा लिया। निजी कॉलेजों से आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों ने इसमें ज्यादा फर्जीवाड़ा किया। प्रदेश के बाहर से आए आवेदनों में एक मामला ऐसा भी आया कि एक प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी का अनुभव प्रमाण पत्र लगाया। उसकी नियुक्ति भी हुई। निजी कॉलेजों में ज्यादातर भर्ती होने वाले शिक्षक कुछ साल ही पढ़ा पाए थे, लेकिन अनुभव प्रमाण पत्र में 10 साल से ज्यादा समय से पढ़ाना बताया।

राजनैतिक दवाब में जांच
प्राध्यापक के पद पर 240 लोगों की भर्ती हुई। निजी कॉलेजों से नियुक्ति पाने वालों की संख्या 103 के आसपास थी। इनमें प्रदेश के बाहर से भी अभ्यार्थी थे। इसमें बड़ी संख्या में राजनैतिक परिवारों से जुड़े लोग हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विद्यार्थी परिषद से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों की भी नियुक्ति हुई। इस मामले को लेकर एनएसयूआई के पंकज प्रजापति ने कानूनी लड़ाई शुरू की। हाईकोर्ट में मामला दायर किया। आरोप लगाया कि नियुक्ति में धांधली हुई। कोर्ट ने सरकार को इस मामले में जांच के निर्देश दिए। तीन स्तर पर इस मामले की जांच हो चुकी है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने इस मामले में शासन स्तर पर निर्णय लेने को कहा। सूत्रों के मुताबिक प्रमुख सचिव स्तर पर जांच रिपोर्ट फाइनल हो चुकी है। इसमें कई की नियुक्ति गलत होना पाई गई है लेकिन राजनैतिक दबाव की वजह से कार्रवाई अभी तक शुरू नहीं हुई।

जबलपुर संभाग से भी दर्जनभर दागी
गलत तरीके से अनुभव प्रमाण पत्र के सहारे नियुक्ति पाने वालों में जबलपुर संभाग से भी दर्जनभर प्राध्यापक हैं। ज्यादातर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं। शिकायतकर्ता पंकज प्रजापति ने कहा कि संगठन का इस्तेमाल कई प्राध्यापक अपनी नौकरी बचाने के लिए कर रहे हैं। इसी वजह से उन्हें सूचना के अधिकार में जांच रिपोर्ट की प्रति अब तक नहीं मिली है। जल्द ही वे इस मामले में दोबारा कोर्ट की शरण में जाएगे।

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प्राध्यापकों की नियुक्ति को लेकर जांच की प्रक्रिया जारी है। इसमें जो भी दोषी मिलेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जयभान सिंह पवैया, उच्च शिक्षा मंत्री मप्र

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