नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल बुधवार को नोटबंदी के मुद्दे पर वित्त संबंधी संसदीय स्थाई समिति के समझ उपस्थित हुए। जानकारी के मुताबिक उर्जित पटेल ने समिति को बताया है कि नोटबंदी के बाद 9.2 लाख करोड़ रुपए नई करंसी आ चुकी है। हालांकि उर्जित समिति को ये नहीं बता पाए कि बैंकों में कितनी करंसी जमा की गई है।
कितना पैसा जमा हुआ ये भी नहीं बताए गवर्नर
उर्जित पटेल समिति को ये भी नहीं बता पाए कि नोटबंदी के बाद कितना पैसा बैंक में जमा हुआ है और न ही उर्जित इस बात की जानकारी दे पाए कि हालात कब सामान्य होंगे। जानकारी के मुताबिक समिति आरबीआई गवर्नर के जवाब से खुश नहीं है।
पिछले साल की शुरुआत में हुई थी नोटबंदी पर चर्चा
समझा जाता है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने नोटबंदी पर संसदीय समिति को बताया कि इस प्रक्रिया पर रिजर्व बैंक और सरकार के बीच बातचीत पिछले साल के आरंभ में शुरू हो गयी थी। सूत्रों ने कहा कि समिति में कांग्रेस के सदस्यों ने कई तरह के प्रश्न किये, मसलन बड़े नोटों को समाप्त करने का फैसला किसका था। उन्होंने आरबीआई की स्वायत्तता के संबंध में भी सवाल किया।
BJP सदस्यों ने नहीं उठाए सवाल
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली समिति के भाजपा सदस्यों ने बैठक में ज्यादा सवाल नहीं उठाये। समिति के सवालों में यह भी शामिल था कि नोटबंदी की अवधि के दौरान कितनी राशि वापस आई और 500 तथा 2000 रुपये के कितने नये नोट छापे गए हैं और बैंकों को भेजे गए हैं।
मनमोहन सिंह ने भी पूछे सवाल
यह भी समझा जाता है कि नोटबंदी को बड़ी विफलता बताने वाले समिति के सदस्य मनमोहन सिंह ने भी इस मुद्दे पर प्रश्न पूछा। सूत्रों के मुताबिक पटेल ने वित्त पर संसद की स्थाई समिति को नोटबंदी के विषय पर बताया कि रिजर्व बैंक और सरकार के बीच बातचीत पिछले साल की शुरुआत से चल रही थी।
वित्त मंत्रालय ने मांगा वक्त
सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने बैठक में उठाये गये प्रश्नों का जवाब देने के लिए समिति से समय मांगा है। बैठक में वित्त सचिव ने समिति के समक्ष एक प्रस्तुतिकरण दिया। सूत्रों ने कहा कि सदस्य जवाबों से बहुत संतुष्ट नहीं दिखाई दिये।
PAC के सामने भी पेश हो सकते हैं उर्जित
देश में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के फैसले पर और उसके असर पर बातचीत के लिए यह महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गयी थी। आरबीआई गवर्नर 20 जनवरी को इसी मुद्दे पर संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष भी पेश हो सकते हैं।