लंदन। क्या आप गालियां देने वाले लोगों से परेशान हैं! हो सकता है वे दूसरों से अधिक ईमानदार हों। वैज्ञानिकों का कहना है कि वे लोग जो अक्सर कसमें खाते हैं वे ही अधिक झूठे और कपटी होते हैं। अपशब्द अक्सर अभद्र भाषा में होते हैं जो कि सामाजिक तौर पर अनुचित माने जाते हैं। इनमें अधिकांश लैंगिक अभद्रता शामिल होती है। इसमें धर्म पर भी कटाक्ष होता है।
गालियां देने वाले लोग अक्सर गुस्से से भरे होते हैं। हालांकि ऐसा करने वालों को लोग पसंद कर सकते हैं यह अलग बात है। गालियां देने वालों को अनैतिक माना जाता है लेकिन ताजा शोध बताते हैं कि गालियां देने वाले अधिक ईमानदार होते हैं।
गालियां देने वाले बिना मिलावट के एकदम साफ-सुथरी बात कहते हैं जो कि सीधे दिल से निकली होती है। कसम खाना अनुचित हो सकता है लेकिन इसका एक अर्थ ये भी है कि सामने वाला आपके सामने अपना पक्ष रख रहा है।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के डेविड स्टीलवेल कहते हैं कि गालियां देने वाले अपनी भाषा पर ध्यान नहीं देते यानी इसका मतलब है कि वे अपने विचार पर ज़ोर देकर उसे जस का तस सामने रखते हैं।इसके विपरीत विनम्र भाषा का उपयोग करने वाले कुटिल, झूठे और पाखंडी होते हैं।
एक प्रश्नमाला में 276 लोगों से सवाल पूछे गए, जिसमें उन्हें अपनी पसंदीदा कसम को बताना था। उनसे पूछा गया कि वे ऐसे शब्दों का उपयोग क्यों करते हैं। जिन लोगों ने बड़ी संख्या में कोसने वाले शब्दों का उल्लेख किया वे अधिक विश्वसनीय प्रतीत हुए। दूसरे सर्वे में 75 हज़ार फेसबुक यूजर्स से ऑनलाइन प्रयोग होने वाले शब्दों के बारे में पूछा गया।