भोपाल। मप्र के कटनी शहर में हुए 500 करोड़ के कालाधन (नोटबदली) कांड के कारण सुर्खियों में आ गए माइनिंग कारोबारी संजय पाठक को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने हाईकमान की मर्जी के बिना मंत्री बनाया था। जब संजय पाठक ने शपथ ली तो दिल्ली तक वरिष्ठ नेता चौंक उठे थे क्योंकि जो लिस्ट दिल्ली से स्वीकृत करके भेजी गई थी, उसमें संजय पाठक का नाम नहीं था।
बता दें कि संजय पाठक मूलत: कांग्रेसी नेता हैं। वो दलबदलकर भाजपा में आ गए थे। इसके कारण विजयराघवगढ़ सीट पर उपचुनाव भी हुआ। भाजपा के पुराने कार्यकर्ता और वरिष्ठ नेता इस बात से कतई सहमत नहीं थे कि हाल ही में दलबदलकर आए किसी कांग्रेसी को मंत्री बनाया जाए।
इस मामले में भाजपा के प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्रबुद्धे और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बीच बातचीत भी हुई थी। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान से भी चर्चा की थी। हाईकमान ने खासतौर पर पाठक एवं सूर्यप्रकाश मीना के नाम पर पूछताछ की थी।
इस दौरान जब मीडिया ने सवाल किए तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह ने जवाब दिया था कि हमने उन्हे वादा किया था, अब वादा तो निभाना ही था।