छिंदवाड़ा। कटनी में शिवराज सरकार के लिए तनाव का कारण बने एसपी गौरव तिवारी को अब तंग करने वाली कार्रवाई शुरू हो गई है। पुलिस और प्रशासन की एक संयुक्त कार्रवाई जिसमें एडीएम, एसडीएम सहित आबकारी अधिकारी भी शामिल थे, एडीएम ने ही एसपी को नोटिस थमा दिया है। बताया जा रहा है कि यह नोटिस इसलिए थमाया गया क्योंकि अवैध शराब का यह कारोबार एक बड़े भाजपा नेता के संरक्षण में चल रहा है। इस कार्रवाई मं 133 पेटी अवैध शराब पकड़ी गई थी। एडीएम का कहना है कि यह मामला पुलिस ने क्यों दर्ज किया, यह तो आबकारी का काम है।
एडीएम आलोक श्रीवास्तव की कोर्ट ने आबकारी एक्ट में एसपी को नोटिस दिया है। इसमें कहा गया कि लाइसेंसी शराब ठेकेदार पर आबकारी विभाग ही एफआईआर दर्ज कर सकता है। यह केस आबकारी को ट्रांसफर किया जाए।
SP ने दिया जवाब
इस पर एसपी तिवारी ने कलेक्टर जेके जैन को जवाब भेज कर कहा कि कार्रवाई में नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने पुलिस और आबकारी एक्ट की दो धाराओं का हवाला देकर कहा है कि मामले की जांच पुलिस ही करेगी। आबकारी विभाग शराब ठेके से संबंधित दस्तावेज विवेचना अधिकारी को जल्दी से जल्दी उपलब्ध कराए। एसपी गौरव तिवारी ने यह भी बताया कि यह संयुक्त कार्रवाई थी। शराब गोदाम में छापा मारने वाली टीम में एडीएम आलोक श्रीवास्तव, एसडीएम राजेश शाही, तहसीलदार अनूप श्रीवास्तव अाौर आबकारी अधिकारी भी शामिल थे। पुलिस को कार्रवाई का अधिकार है, विवेचना अधिकारी को ठेके से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराएं।
इन नियमों का हवाला दिया:
मप्र आबकारी अधिनियम की धारा 51 में सशक्त पुलिस अधिकारी को किसी भी समय गोदाम निरीक्षण की अाधिकारिता और पुलिस रेग्युलेशन के पैरा 361, 362 में उप निरीक्षक और उससे वरिष्ठ पुलिस अफसर को यह अधिकार दिया गया है।
आबकारी संशोधन अधिनियम 2000 में धारा 34(2) में स्पष्ट है कि गोदाम निरीक्षण के पश्चात मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है। पुलिस एक्ट के पैरा 730 के अनुसार संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर धारा 154 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज करने के लिए बाध्य भी है।
भाजपा का संरक्षण प्राप्त है अवैध शराब कारोबारी
बताया जा रहा है कि जिस दुकान और गोदाम पर एसपी ने छापा मारा उसके संचालक भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से जुड़े हैं। हाईप्रोफाइल मामला होने के कारण भोपाल से कार्रवाई को दबाने की कोशिश शुरू हो गई। इसीलिए जिला प्रशासन और भोपाल से बड़े अफसर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की बात कर रही हैं।
यह लिखा है एडीएम के नोटिस में
मप्र आबकारी अधिनियम की धारा 51 के तहत शराब लाइसेंसी शराब गोदाम पर पुलिस कार्रवाई नहीं कर सकती। इसलिए अागे की कार्रवाई आबकारी विभाग करेगा। अत: आपको आदेशित किया जाता है कि प्रकरण आबकारी विभाग को ट्रांसफर करें।
TI ने SP से मांग लिया था लिखित आदेश
सूत्रों के अनुसार ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर करने एसपी का आदेश मानने से थाना प्रभारी ब्रजेश मिश्रा ने इंकार कर दिया था। उन्होंने दो टूक कहा था कि लिखित में आदेश दीजिए, तभी एफआईआर होगी। इसके बाद एएसपी नीरज सोनी ने लिखित में आदेश दिया तब मुकदमा दर्ज किया गया।