भोपाल। संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए आधार नंबर देने पर गवाहों की जरूरत नहीं पड़ेगी। पंजीयन विभाग ने यूआईडीएआई के साथ करार के बाद अब इसका ट्रायल शुरू कर दिया गया है। अप्रैल से यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। रजिस्ट्री करवाने वाले लोगों के आधार नंबर की पहचान करेगा।
ऑनलाइन ऑथेंटिकेशन सेवा के जरिए आम लोगों को यह सुविधा दी जाएगी। इसके तहत रजिस्ट्री कराने के लिए दो गवाहों की जरूरत नहीं होगी। आधार के जरिए संपत्ति खरीदने और बेचने वाले की पहचान स्थापित कर ली जाएगी। अभी रजिस्ट्री के समय व्यक्ति की पहचान बताने के लिए दो गवाहों की जरूरत होती है। रजिस्ट्री के लिए आधार का उपयोग करने के नियम को अनिवार्य नहीं किया जाएगा। यह रजिस्ट्री करवाने वालों पर निर्भर करेगा कि उन्हें इस सुविधा का लाभ लेना है या नहीं। आईजी पंजीयन एवं मुद्रांक शिवशेखर शुक्ला का कहना है कि लोगों की सुविधा के लिए यह व्यवस्था लागू करने की योजना बनाई गई है। रजिस्ट्री के लिए गवाह की जरूरत नहीं पड़े। इसलिए आधार की जरूरत पड़ रही है।
यह होगी प्रक्रिया
यूआईडीएआई से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक रजिस्ट्री के वक्त दो तरह से पहचान जांची जाएगी। संपत्ति खरीदने और बेचने वालों के आधार नंबर लिए जाएंगे। साथ ही उंगली के निशान भी दर्ज किए जाएंगे। इसे एक गेटवे के जरिए सेंट्रल आईडेंटिटी डाटा रेपोसेटरी भेजा जाएगा, वहां से उंगली के निशान, आधार नंबर को व्यक्ति के फोटो और नाम के साथ मिलान कर तुरंत हां या नहीं में जवाब आएगा। इस प्रक्रिया में तकरीबन 10-15 सेकंड का समय लगेगा। हां में जवाब आने का मतलब होगा कि पहचान सही है और नहीं का मतलब होगा कि पहचान गलत बताई जा रही है। इसके साथ ही ईकेवायसी के जरिए भी पहचान जांची जाएगी।