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सबसे कहा जाएगा दान करें
इस योजना का नाम है अर्पणम्-आनंद। शुरूआत अतिरिक्त सामग्री से की जा रही है। आम जनता इस योजना के तहत ऐसा सामान है जिसका उपयोग वे लंबे समय से नहीं कर रहे है उसे दान कर सकते हैं। दान प्राप्त करने के लिए बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन, हाट-बाजार के पास एक शेड बनाया जाएगा। इसमें आलमारी और बॉक्स लगाए जाएंगे। प्रदेश के सभी जिलों में इस स्थान का नाम अर्पणम आनंद रखा जाएगा। यहां लोग स्वेच्छा से आकर कोई भी वस्तु, सामग्री दान कर सकेंगे।
आपत्ति क्या है
आपत्ति यह है कि यह सरकारी दखल के साथ होगा। आनंद मंत्रालय अर्पणम्-आनंद के लिए कलेक्टरों को निर्देशित करेंगे। कलेक्टर लोकल मीडिया में अपील जारी करेंगे। कुछ अधिकारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी और फिर शुरू होगा खेल। कुछ कलेक्टर को खुश करने के लिए दान करेंगे तो कुछ कलेक्टर के दवाब में। हो सकता है, कोई कलेक्टर सीएम की गुडबुक में दर्ज होने के लिए व्यापारियों पर दवाब बना दे।
जो गरीब रजिस्टर्ड नहीं उनका क्या होगा
बता दें कि आम नागरिकों से इस तरह की वस्तुएं संग्रहित कर निर्धनों में वितरित करने का काम पहले से ही सैंकड़ों स्थानीय समाजसेवी संगठन करते आ रहे हैं। इस प्रक्रिया में सरकारी दखल से यह और ज्यादा जटिल हो जाएगी। दान प्राप्त करने के लिए सरकार के सारे खाने खुले रहेंगे परंतु निर्धनों को दान देने से पहले सरकार आधार कार्ड/गरीबी का प्रमाण और कई तरह की शर्तें लगा देगी। स्वभाविक है सारा का सारा दान सरकारी सूची में दर्ज निर्धनोें तक ही पहुंचेगा। उन गरीबों तक नहीं, जहां आज तक पहुंचता आ रहा है। बिना आधार कार्ड/गरीबी का प्रमाण देखे। सवाल यह है कि सरकार जब टैक्स वसूल ही रही है तो चंदा क्यों। अपने खजाने से निर्धनों की मदद करे और स्थानीय समाजसेवी संस्थाओं को उनका काम करने दे। जहां आज तक कभी कोई घोटाला नहीं हुआ।
आज सामान मांग रहे हैं, कल नगदी की योजना आ जाएगी
सरकार का क्या भरोसा। मंत्रालय बना दिया है तो कुछ ना कुछ होता ही रहेगा। आज सामान मांगा जा रहा है, कल नगदी की योजना लांच की जा सकती है। अभी प्यार से मांगा जा रहा है, फिर नसबंदी की तरह दवाब और लालच भी शुरू किया जा सकता है। मंत्रालय अपना टारगेट पूरा करने के लिए कुछ भी करेगा। चंदा एक सरल रास्ता मिल गया है। घोटालों की जमीन भी जमाई जा सकती है। व्यापमं हो गया तो कुछ भी हो सकता है। नकारा नहीं जा सकता। याद दिला दें, व्यापमं का गठन सिफारिश और घूसखोरी के बदले बांटी जा रही नौकरियों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया गया था।
आज सामान मांग रहे हैं, कल नगदी की योजना आ जाएगी
सरकार का क्या भरोसा। मंत्रालय बना दिया है तो कुछ ना कुछ होता ही रहेगा। आज सामान मांगा जा रहा है, कल नगदी की योजना लांच की जा सकती है। अभी प्यार से मांगा जा रहा है, फिर नसबंदी की तरह दवाब और लालच भी शुरू किया जा सकता है। मंत्रालय अपना टारगेट पूरा करने के लिए कुछ भी करेगा। चंदा एक सरल रास्ता मिल गया है। घोटालों की जमीन भी जमाई जा सकती है। व्यापमं हो गया तो कुछ भी हो सकता है। नकारा नहीं जा सकता। याद दिला दें, व्यापमं का गठन सिफारिश और घूसखोरी के बदले बांटी जा रही नौकरियों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया गया था।