उपदेश अवस्थी/नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की हालत दोस्ती के उस दोस्त जैसी हो गई जो ना घर का रहा ना घाट का। पहले शीला दीक्षित को सामने करके ब्राह्मण वोट हथियाने की रणनीति बनाई थी फिर सहारा घूसखोरी कांड में शीला दीक्षित की कथित घूस का खुलासा कर दिया। फिर सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई। वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी लगातार टच में रहे लेकिन अखिलेश यादव ने अपने पिताजी को पटखनी देने के बाद दोस्तों के दांत भी खट्टे कर दिए। पहले महागठबंधन की प्लानिंग खत्म की फिर गठबंधन की संभावनाएं भी समाप्त कर दीं।
सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि सपा व कांग्रेस में गठबंधन लगभग टूट गया है। इसके लिए खुद कांग्रेस जिम्मेदार है। सपा ने अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी है। नई लिस्ट साफ बता रही है कि अब कांग्रेस के लिए कोई जगह नहीं बची। प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया गया है।
इधर चौराहे पर खड़ी कांग्रेस अब भी गठबंधन की आस लगाए बैठी है। लगाए भी क्यों ना, अकेले लड़ने का दम तो अब बचा ही नहीं। कार्यकर्ताओं का माइंडसेट बार बार कैसे बदलें। इसीलिए कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने इसके बारे में कोई पुष्टि नहीं की है। उन्होंन कहा कि उन्हें अभी भी उम्मीद हैं कि सपा के साथ हमारा चुनावी गठबंधन हो जाएगा। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी कहा है कि दो दलों में अभी बैठकों का दौर जारी है, अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है।