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एटीएस चीफ संजीव शमी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जासूसी रैकेट के बारे में खुलासा किया। एटीएस चीफ ने बताया कि अब तक ग्वालियर से पांच, भोपाल से तीन, जबलपुर से दो और सतना से एक आरोपी की गिरफ्तारी की गई है। उन्होंने बताया कि इस पूरे रैकेट में निजी मोबाइल कंपनियों के कर्मचारियों की मिलीभगत के संकेत भी मिले है। बताया जा रहा है कि आरोपी कॉल सेंटर का संचालन करते थे। इसके जरिए नौकरी और लॉटरी की आड़ में सूचनाओं का लेन-देन किया जा रहा था।
एक साल से जारी थी तलाश
पिछले साल जम्मू-कश्मीर में सुखविंदर और दादू नाम के दो आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। इन दोनों से हुई पूछताछ में खुलासा हुआ था कि देशद्रोही गतिविधियों में मध्य प्रदेश से मदद मुहैया कराई जा रही थी। इस इनपुट के आधार पर एटीएस ने अपना जाल बिछाते हुए अब तक 11 लोगों को धरदबोचा है।
अपना एक्सचेंज बना लिया था, आतंकियों के कॉल डायवर्ड करते थे
आरोपी सेना के सीनियर अफसर बनकर सैन्य मूवमेंट और सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारी को हासिल करते थे। आरोपियों ने एक समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज बनाया था। इसके जरिए पाकिस्तान और विदेशों से आने वाली कॉल को भारतीय नंबर के जरिए रूट किया जाता था।गिरोह सिम बॉक्स, मोबाइल फोन, सिम कार्ड, डाटा कार्ड और लेपटॉप के जरिए समांनातर टेलीफोन एक्सचेंज चलाता था। पाकिस्तान के आईएसआई एजेंटों के कॉल्स को रूट कर स्थानीय नंबरों के जरिए देश की खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में गिरोह मदद करता था। एटीएस ने इनके पास से मोबाइल फोन, कई कंपनियों की सिम कार्ड, सिम बाक्स, लेपटॉप, चाईनीज बॉक्स आदि बरामद किया है।
एक जासूस भाजपा नेता का रिश्तेदार
आरोपियों के हवाला के जरिए पैसे ट्रांसफर किए जाने का भी खुलासा हुआ है। पाकिस्तान से कुछ खातों में रुपए ट्रांसफर होने का भी सुराग मिला। आरोपी सरहद पार बैठे लोगों को खुफिया जानकारी उपलब्ध कराते थे। ग्वालियर से पकड़ा गया एक आरोपी भाजपा पार्षद का रिश्तेदार बताया जा रहा है।