
अलंकृता श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी इस फिल्म के बारे में ये बात कम ही लोग जानते हैं कि फिल्म की शूटिंग भोपाल में हुई है और पूरी फिल्म इसी शहर की पृष्ठभूमि पर केंद्रित है। जहां की गलियों में मौजूद चार महिलाएं अपने छोटे छोटे सपनों के लिए आज़ाद जिंदगी की तलाश में हैं। प्रकाश झा के प्रोडक्शन में बनी अलंकृता श्रीवास्तव की ये फिल्म चार ऐसी मुसलमान औरतों की कहानी है, जो दोहरी जिंदगी जी रही हैं। एक वह जिंदगी जो वे बुर्के के भीतर से देखती और जीती हैं और दूसरी वह जो बुर्के के बिना है।
पूरी फिल्म इन चार महिलाओं पर केंद्रित हैं। इन चार महिलाओं में कोई ब्यूटीशियन है, तो कोई तीन बच्चों की मां। एक विधवा महिला का भी किरदार है, जिसे रत्ना पाठक शाह ने निभाया है। उनके अलावा कोंकणा सेन शर्मा, अहाना कुमार और प्लबिता बोरथरकर लीड रोल में हैं।
फिल्म में अलग-अलग पीढ़ियों और पृष्ठभूमि की महिलाओं की सोच और जीवन को दर्शाया गया है, जो रूढ़िवादी सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी जीना चाहती हैं।
कैसा है चारों महिला कलाकारों का किरदार
कोंकणा सेन शर्मा तीन बच्चों की मां और एक दुखी गृहिणी के किरदार में हैं। प्लबिता एक कॉलेल स्टूडेंट है। पॉप सिंगर बनने का सपना देखने वाली ये कॉलेज स्टूडेंट एक पिछले माहौल से आती हैं। अहाना कुमारा एक ब्यूटीशियन है, जो अपनी मोहब्बत को हासिल करने के लिए उसके साथ शहर से भाग जाना चाहती है। रत्ना पाठक शाह विधवा का रोल अदा कर रही, जिसके दिलो दिमाग पर जवानी का मंजर छाया है।