व्यापमं घोटाला: मेडिकल कॉलेजों में 500 एडमिशन फर्जी थे, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किए

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। व्यापमं घोटाले में 250 करोड़ का काला कारनामा प्रमाणित हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने MBBS कोर्स कर रहे 500 मेडिकल स्टूडेंट्स के एडमिशन रद्द कर दिए हैं। इन सभी ने 2008 से 2012 के बीच एडमिशन लिया था। आरोप है कि एक मेडिकल सीट 50 लाख से 1 करोड़ के बीच बेची गई थी। यदि न्यूनतम आंकड़ा ही आधार मान​ लिया जाए तो 250 करोड़ का घोटाला प्रमाणित हो गया है। एडमिशन ले चुके सभी स्टूडेंटस जूनियर डॉक्टर हैं एवं अस्पतालों में प्रेक्टिस कर रहे थे। 

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले केस में सोमवार को सुनवाई की। कोर्ट ने 5 साल के MBBS कोर्स में एनरोल कराने वाले राज्य के 500 से ज्यादा स्टूडेंट्स की एडमिशन प्रॉसेस कैंसल कर दी है। इन स्टूडेंट्स ने 2008 से 2012 के बीच में इस कोर्स में एडमिशन लिया था। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने स्टूडेंट्स की ओर से दायर की गईं सभी पिटीशन्स रद्द कर दी हैं। अब सवाल यह उठता है कि जबकि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे दिया है। इस तरह के एडमिशन देने वाले अधिकारियों एवं इसमें शामिल राजनेताओं के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है। 

क्या है व्यापमं घोटाला 
व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) मध्य प्रदेश में उन पोस्ट पर भर्तियां या एजुकेशन कोर्स में एडमिशन करता है, जिनकी भर्तियां मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन नहीं करता। व्यापमं के तहत प्री-मेडिकल टेस्ट, प्री-इंजीनियरिंग टेस्ट और कई सरकारी नौकरियों के एग्जाम होते हैं। घोटाले की बात तब सामने आई जब कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स, ट्रैफिक पुलिस, सब इंस्पेक्टर्स की रिक्रूटमेंट एग्जाम के अलावा मेडिकल एग्जाम में ऐसे लोगों को पास किया गया, जिनके पास एग्जाम में बैठने तक की एलिजिबिलिटी नहीं थी। सरकारी नौकरियों में करीब एक हजार से ज्यादा भर्तियां और मेडिकल एग्जाम में 500 से ज्यादा एडमिशन शक के घेरे में हैं। इस घोटाले की जांच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की निगरानी में SIT ने की। बाद में यह जांच CBI को सौंपी गई।

कैसे सामने आया था घोटाला? 
सुप्रीम कोर्ट ने जिस मामले में मेडिकल की एडमिशन प्रॉसेस रद्द करने का फैसला सुनाया है, वह व्यापमं के तहत हुआ सबसे बड़ा घोटाला था। व्यापमं की ओर से हुई प्री-मेडिकल टेस्ट में गड़बड़ी के सिलसिले में कई एफआईआर दर्ज की जा चुकी थीं लेकिन जुलाई 2013 में यह घोटाला बड़े रूप में तब सामने आया जब इंदौर क्राइम ब्रांच ने डॉ. जगदीश सगर की गिरफ्तारी की। उसे मुंबई के पॉश होटल से गिरफ्तार किया गया था। उसके इंदौर स्थित घर से कई करोड़ रुपए का कैश बरामद हुआ था। पुलिस के मुताबिक, एमबीबीएस डिग्री रखने वाले सगर ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने 3 साल के दौरान 100 से 150 स्टूडेंट्स को मेडिकल कोर्स में गलत तरीके से एडमिशन दिलाया था।

कैसे किया गया घोटाला 
26 अगस्त 2013 को एडिशनल डीजीपी रैंक के पुलिस अफसर की अगुवाई में बनी स्पेशल टास्क फोर्स को इस घोटाले की जांच सौंपी गई। तब तक इस मामले की जांच पीएमटी भर्ती घोटाले के पहलू से ही हो रही थी। अक्टूबर 2013 में इंदौर की एक कोर्ट में पहली चार्जशीट दायर हुई। एसटीएफ ने बताया कि 438 कैंडिडेट्स ने मेडिकल कॉलेजों में गलत तरीके से एडमिशन की कोशिश की थी। व्यापमं के अफसरों पर आरोप है कि उन्होंने सीट अरेंजमेंट ऐसे कराई कि दूसरे राज्यों से आने वाले "स्कोरर" उन स्टूडेंट्स के पास बैठें, जिन्होंने एडमिशन के लिए पैसे दिए थे। इस मामले में व्यापमं के एग्जामिनेशन कंट्रोलर रहे पंकज त्रिवेदी को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। एसटीएफ का मानना है कि 876 स्टूडेंट्स इस घोटाले का हिस्सा रहे हैं।

जांच के दायरे में क्या शामिल था?
पीएमटी के तहत एमबीबीएस, बीडीएस जैसे कोर्स में हुए एडमिशंस के अलावा पुलिस, एक्साइज, रेवेन्यू और एजुकेशन डिपार्टमेंट में 2007 से 2013 के बीच 1 लाख से ज्यादा पोस्ट पर हुई भर्ती इस घोटाले की जांच में शामिल है।

अब तक कितने लोगों की हुई मौत?
कांग्रेस का आरोप है कि व्यापमं घोटाले में 40 से ज्यादा मौतें हुई हैं। सरकारी आंकड़ा 27 मौतों का था। इनमें से 14 मौतें संदिग्ध हालात या बीमारी के कारण हुईं। जबकि 10 लोगों की जान सड़क हादसों के कारण हुई। 3 लोगों ने सुसाइड किया। 17 मौतों की जांच CBI भी कर रही है। 

2000 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई थीं
जांच का दायरा पीएमटी से आगे जाकर दूसरी एग्जाम्स तक फैल गया। पहले उन स्टूडेंट्स और आरोपियों की तलाश की गई, जिन्होंने एग्जाम में चीटिंग के लिए 25 लाख रुपए तक दिए थे। एसटीएफ ने 2000 से ज्यादा संदिग्धों को गिरफ्तार किया। 55 एफआईआर दर्ज कीं। 26 से ज्यादा चार्जशीट दाखिल की गईं।

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