
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सीबी सिरपुरकर की एकलपीठ ने अधिवक्ता सुशीलकुमार तिवारी के तर्कों से सहमत होकर युवक को अग्रिम जमानत का लाभ दे दिया। इससे पूर्व युवक की अग्रिम जमानत अर्जी सेशन कोर्ट से खारिज कर दिए जाने के कारण वह बेहद परेशान था। उसने अपने वकील को सारी हकीकत बताई। जिसमें साफ किया गया कि 2012 में उसके उमरिया स्थित मकान में देहात की एक युवती किराए से रहने आई।
वह कॉम्पटीटिव एग्जाम की तैयारी कर रही है। सुंदर थी, इसलिए जब वह नौकरी से छुट्टी लेकर उमरिया आता, तो उससे अक्सर बातचीत होने लगी। कई बार उसे मार्गदर्शन भी दिया। इसी दौरान दोनों की घनिष्ठता हो गई। वे सहमति से पति-पत्नी की तरह लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने लगे। पांच वर्ष के दौरान कभी भी युवक की ओर से दैहिक संबंध बनाने युवती को कभी विवश नहीं किया गया, जो भी हुई एक-दूसरे की मर्जी से हुआ। इस दौरान युवती दो बार प्रग्नेंट हो गई, लिहाजा एबॉर्शन भी कराया गया। ऐसे में रेप का केस भला कैसे बनता है?
शादी से मुकरा इसलिए रिपोर्ट- युवती ने युवक के खिलाफ 2017 के जनवरी माह में जो रिपोर्ट दर्ज कराई है, उसमें लिखवाया गया है कि 2012 से मकान मालिक युवक लगातार शादी का प्रलोभन देकर शोषण करता चला आ रहा था। एक रात्रि मकान मालिक युवक कमरे में जबरन घुस आया और शिकार बना लिया। इसके बाद से पांच वर्ष तक बहला-फुलसाकर अपनी मनमानी करता चला आ रहा था।