राजेश शुक्ला/अनूपपुर। 1 फरवरी को हसदेव क्षेत्र अंतर्गत बहेराबाॅंध भूमिगत कोयला खदान में एक साथ हुई तीन श्रमिकों की मौत ने पूरे कोयलांचल क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया और कोयला खदानो मे श्रमिको की सुरक्षा पर बड़ा सवालिया निशान लग गया है। अफसरों ने इस मामले में केवल 4 छोटे कर्मचारियों को सस्पेंड किया है। जिन्हे सस्पेंड किया गया उनमे माइनिंग सरदार प्रेमशंकर यादव, शॉर्ट फायरर सहदेव, ओवरमैन आरबी श्रीवास्तव एवं इंद्रजीत पाल शामिल हैं।
गौरतलब है कि कोल इण्डिया के प्रवधानों के अनुसार कोयला खदानों के सुरक्षा के मुख्य जिम्मेदार डीजेयमयस के नियमों के मुताबिक खदान मे काम करने वाले श्रमिको के लिए तरह-तरह से नियम बनाए गए है और इस नाते श्रमिको की सुरक्षा को पहली पहली प्राथमिकता दिया जाता है। खदान के ऊपर से लेकर नीचे तक कई अधिकारियो और कर्मचारियों की पदस्थापना मात्र श्रमिकों की सुरक्षा के लिए और कोयला खदानों का संचालन डीजे एम.एस डी डी एम एस के नियमों के मुताबिक हो इसी लिए तमाम कर्मचारियो और अधिकारियो की पदस्थापना होती है। कोयला खदान मे डिस्ट्रिक्ट की लंबाई और चौड़ाई कितनी होनी चाहिए और किस तरह से सुरक्षा के नियमो के तहत खदानों का संचालन करना है इसके लिए भी कई नियम बने है मगर सवाल उठता है कि क्या कोयला खानो के अंदर सुरक्षा के लिए तैनात किए गए अधिकारी कर्मचारी अपने दायित्वो का निर्वाहन करते है? क्या कोयला खदानो का संचालन डायरेक्टर जनरल माइन्स सेफ्टी के नियमों के मुताबिक किया जा रहा हैं? अगर किया जा रहा है तो फिर दुर्घटनाएं क्यो हो रही हैं।
डीजीएमएस की जाॅच पर है निगाह
हसदेव कोयला क्षेत्र और बहेराबाॅध प्रबंधक द्वारा छोटे कर्मचारियेां को निलंबित कर अपने आपको पाक साफ बताने का जो असफल प्रयास किया गया है। उस पर सभी की निगाहें डीजीएमएस और दो अन्य जाॅंच एजेंसियों पर टिकी हुई है। और कोयला श्रमिको को डीजीएमएस की जाॅंच पर आष है कि वह सही जाॅंच कर दोषियों पर कार्यवाही का प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगें।