नई दिल्ली। यूपी इलेक्शन के लिए सभी पार्टियों ने अपने अपने स्टेंड क्लीयर कर दिए थे। सब जानते हैं कि यूपी में जातिवाद के नाम पर वोट गिरता है अत: पार्टियों ने भी थोकबंद वोट हासिल करने के लिए जातिवाद की ही रणनीति बनाई थी। भाजपा ने दलित ऐजेंडा लागू कर बसपा में सेंधमारी करने की कोशिश की तो कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड खेलकर सवर्ण वोटों पर फोकस किया। मायावती ने अपना दलित वोटबैंक बचाते हुए मुसलमानों पर फोकस किया और सपा अपने वोट बचाए रखने के लिए काम करती रही। अब जबकि 3 चरण का मतदान हो गया है और रुझान साफ आने लगे हैं तब गृहमंत्री राजनाथ सिंह को दुख है कि भाजपा ने मुसलमानों को एक भी टिकट नहीं दिया।
राजनाथ ने टाइम्स नाऊ को दिए इंटरव्यू में बुधवार को कहा, ''हमने कई दूसरे राज्यों में अल्पसंख्यकों को टिकट दिए हैं। यूपी में भी इस पर बात होनी चाहिए थी। मैं वहां नहीं था। मुझे जो पता है, उसी आधार पर बोल रहा हूं। हो सकता है कि उन्हें (बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड को) कोई (अच्छे मुस्लिम कैंडिडेट) न मिले हों। हालांकि, मेरा मानना है कि उन्हें (मुसलमानों को) टिकट मिलना चाहिए था। कोई मुस्लिम कैंडिडेट होता तो हमारा नुकसान नहीं करता। हम ध्यान देंगे कि मजबूत अल्पसंख्यक कैंडिडेट तैयार किए जा सकें।
BJP ने कहा था धर्म-जाति देखकर टिकट नहीं दिए
बीजेपी ने कई बार कहा है कि उन्होंने टिकट बंटवारा काबिलियत और कैंडिडेट के जीतने की संभावना के आधार पर किया है, न कि जाति या धर्म के आधार पर। बता दें कि सपा, बसपा और कांग्रेस ने कई मुस्लिमों को कैंडिडेट बनाया। सपा-बसपा लंबे वक्त से चुनाव के दौरान दलित-मुस्लिम कार्ड खेलती आई हैं।