
जिला पंचायत, उप चुनाव, अमरकंटक फिर पसान के चुनाव मे भोपाल-जबलपुर के शीर्ष संगठन प्रमुखों ने यहाँ पार्टी और उससे अधिक नेताओं की दुर्दशा बखूबी देखी। एक के बाद एक चुनाव के कारण न नया जिलाध्यक्ष चुना गया न कार्यकारिणी। आसन्न परिवर्तन को देखते हुए पदाधिकारी भी लकवाग्रस्त दिख रहे हैं। खैर, नये जिलाध्यक्ष के दावेदारों मे गजेन्द्र सिंह, अजय शुक्ला, मनोज द्विवेदी, नवल नायक, गजेन्द्र सिंह शिकरवार, सुदामा सिंह का नाम तेजी से उभरकर सामने आया है।
इनमे अजय शुक्ला को संघ का समर्थन तो गजेन्द्र सिंह को प्रदेश महामंत्री अजयप्रताप सिंह का नजदीकी बतलाया जा रहा है। पराजित होने के बावजूद सुदामा सिंह की सक्रियता उनके पुनर्वास के संकेत दे रही है। भाजपा व संघ मे वर्षों से सक्रिय मनोज द्विवेदी के नाम पर भी पार्टी विचार कर सकती है। जिनके नाम पर विरोधी भी एक हो सकते है, जिला गठन के उपरांत अवधेश ताम्रकार,अनिल गुप्ता, जय सिंह मरावी, ब्रजेश गोतम, रामदास पुरी जिलाध्यक्ष बनें।
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि अभी तक एक भी बार जिला मुख्यालय से अध्यक्ष नही बना, इसके पीछे कोतमा के नेताओं की सम्पन्नता को बडा कारण माना गया। जिला मुख्यालय सहित पुष्पराजगढ के कार्यकर्ताओं की अधिक सक्रियता के बावजूद पार्टी के भीतर ही योजनाबद्ध तरीके से यहा के नेताओ को हाशिये पर डाले जाने का आरोप लगता रहा। इससे जुडा एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि संयोगवश इसी कार्यकाल मे कोतमा विधानसभा मे विधायक दिलीप जायसवाल, बिजुरी नपा अध्यक्ष अर्चना जायसवाल (दिलीप जायसवाल की पत्नी),कोतमा नपा अध्यक्ष पहले श्रीमती उमा सोनी,फिर उनके पति राजेश सोनी,कोतमा विधानसभा प्रत्याशी (2014) भी राजेश ही थे। पसान नपा मे राम अवध सिंह थे, जिन्हे 2013 विधानसभा, 2014 लोकसभा,उपचुनाव का प्रभारी भी इन्हे ही बनाया गया। नपा अनूपपुर मे द्विवेदी व उनकी धर्मपत्नी प्रवीण द्विवेदी के अतिरिक्त कोई नया चेहरा नही बना। जाहिर है साधन सम्पन्नता पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं/ नेताओं से अवसर छीनती रही है। पसान नपा चुनाव मे सत्ता-संगठन की पूरी ताकत झोंकने के बाबजूद 3000 मतो से शर्मनाक पराजय के जिम्मेदार माने गये कोयलांचल मे भाजपा के रंगा - बिल्ला के नाम से कुख्यात दो नेताओं ने भी जिलाध्यक्ष हेतु दावेदारी पेश की है। इनमें से एक स्वयं को महाकौशल प्रान्त के संगठन मंत्री का करीबी तो दूसरा प्रदेश अध्यक्ष से जातीय समीकरण सेट बतला रहा है।
इनके दावों मे सच्चाई होगी तो बन भी जाएंगे अन्यथा संगठन की किरकिरी तो करा ही रहे है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भाजपा आए संगठन महामंत्री सुहास भगत,महाकौशल प्रान्त संगठन मंत्री अतुल राय से भाजपा मे जिस परिवर्तन-चमत्कार की अपेक्षा की गई वह अभी भी पूरी होती नही दिख रही। आने वाले कुछ माह मे कोतमा,बिजुरी,धनपुरी,शहडोल नपा चुनाव एवं २०१८ पूर्वार्द्ध मे जैतहरी, अनूपपुर नपा फिर विधानसभा चुनाव होने हैं। लचर संगठन,भ्रष्ट-बदनाम,थके चेहरों को सामने कर बीजेपी अपना आधार खोएगी,इसकी आशंका अधिक है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से भाजपा नेताओं की आए दिन हो रही खटपट को भी लोग अनुशासन की भोथरी होती धार से जोड कर देखरहे हैं।